एमएलसी चुनाव में वोटिंग को लेकर हुई थी तीखी बहस करीब 33 शिवसेना विधायकों के एक साथ बागी हो जाने से राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार संकट में है। इनके साथ सात निर्दलीय विधायक भी हैं। लेकिन इस विद्रोह की पटकथा दो दिन एमएलसी चुनाव के दौरान ही रखी गई थी। बताया जा रहा है कि एमएलसी चुनाव के दौरान राज्य के कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना सांसद संजय राउत के साथ पवई के एक होटल में एकनाथ शिंदे की तीखी बहस हुई थी। आपको बता दें कि यहां शिवसेना के सभी विधायकों को विधानपरिषद चुनाव के प्रशिक्षण के लिए ठहराया गया था।
कांग्रेस और राकांपा के विधायक मीटिंग के लिए पहुंचना शुरू
उधर महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बीच प्रदेश कांग्रेस पर्यवेक्षक कमलनाथ की मौजूदगी में आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक हो रही है। बैठक में 43 विधायक मौजूद रहेंगे। इस बैठक के लिए कांग्रेस नेता कमलनाथ मुंबई पहुंच गए हैं। कमलनाथ और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के बैठक के बाद सभी के सीएम उद्धव ठाकरे से मिलने की संभावना जताई जा रही है। राकंपा विधायक भी एनसीपी चीफ शरद पवार के घर पर जमा हो रहे हैं।
एमएससी चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को वोट पर बिगड़ी बात बताया जा रहा है कि MLC चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए अतिरिक्त वोटों का उपयोग करने को लेकर शिंदे और आदित्य ठाकरे तथा संजय राउत के बीच में विवाद हुआ था। शिंदे कांग्रेस कैंडिडेट को वोट देने का विरोध कर रहे थे। कांग्रेस उम्मीदवार भाई जगताप को उनकी जरूरत के वोट जरूर मिले, लेकिन दूसरे उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे चुनाव हार गए।
शिंदे नहीं चाहते थे कांग्रेस उम्मीदवार को वोट देना सूत्रों के मुताबिक , दो दिन पहले विधान परिषद चुनावों के लिए वोटों के उपयोग पर मुंबई के एक होटल में बातचीत हो रही थी। एकनाथ शिंदे की संजय राउत और आदित्य ठाकरे से असहमति थी। शिंदे कांग्रेस के उम्मीदवारों को एमएलसी के रूप में चुने जाने के लिए शिवसेना के विधायकों के वोटों का उपयोग करने के खिलाफ थे। दोनों पक्षों के बीच की यह बहस तीखी नोकझोंक में बदल गया। ऐसा लगता है कि यह विद्रोह का एक निर्णायक कारक हो सकता है। लेकिन, इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि शिवसेना में जो कुछ भी हो रहा था उससे एकनाथ शिंदे पिछले कुछ महीनों से नाराज चल रहे थे। वह नाखुश थे। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी इसके बारे में सचेत कर दिया था।
कांग्रेस के पास थे एक उम्मीदवार के लिए वोट कांग्रेस के पास केवल एक कैंडिडेट के लिए जरूरी मत थे। हालांकि, उसने दो उम्मीदवार मैदान में उतारे। कांग्रेस द्वारा जारी की गई सूची में पहले उम्मीदवार के रूप में हंडोरे का नाम था। लोगों को लग रहा था कि वह चुनाव जीतेंगे। जबकि दूसरे उम्मीदवार भाई जगताप को कड़ी लड़ाई का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उन्हें जीतने के लिए पार्टी के सहयोगियों से वोटों की आवश्यकता होगी। लेकिन जगताप विजयी हुए और हंडोरे हार गए। बीजेपी ने पांच सीटें जीती थीं, वहीं शिवसेना और एनसीपी ने दो-दो सीटें जीती थीं।