उन्होंने कहा कि मैं भगवान की इबादत किस तरह से करता हूं? यह बेहद निजी मामला है। मेरे धार्मिक मामलों में दखल देने का किसी को कोई अधिकार नहीं है।’ उन्होंने समाज में शांति के लिए सहिष्णुता की भावना विकसित करने पर जोर दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस दुनिया में राजनीतिक संघर्ष के मुकाबले धार्मिक लड़ाइयों में ज्यादा लोग मारे गए हैं। लोगों ने एक-दूसरे को नास्तिक और काफिर कह कर मार दिया। धार्मिक मान्यताओं के कारण संसार में ज्यादा तबाही और नरसंहार हुए हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘मैं सोचता हूं कि आपसी भाईचारा, सहिष्णुता के संदेश के साथ यह बात अगर जन-जन तक जाए कि सभी धर्मों के रास्ते एक ही ईश्वर को जाते हैं तो विश्व में शांति, समृद्धि बढ़ेगी। इस दिशा में जस्टिस रोहिंटन ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।’