आपको बता दें, सीवेज ढांचे को मजबूत करने के लिए यह पैसा आवंटित किया गया था। CAG की रिपोर्ट हाल ही में बिहार विधानसभा में रखी गई है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बिहार को चार साल में 684 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करना था, लेकिन बिहार स्टेट गंगा रिवर कंजरवेशन एंड प्रोग्राम मैनेजमेंट सोसायटी (BGCMS) ने इनका इस्तेमाल नहीं किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट से पता चला कि 2016-17 से 2019-20 के बीच केवल 16 से 50 फीसदी फंड का ही इस्तेमाल किया गया। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) ने पिछले फंड का इस्तेमाल सुनिश्चित किए बिना अगली किस्त जारी कर दी, जिससे BGCMS के सेविंग अकाउंट में 683.10 करोड़ रुपए बेकार पड़े रहे।
200 साल पुराना पटना का सीवरेज सिस्टम बहुत ही खराब स्थिति में है। अपनी रिपोर्ट में CAG ने कहा, “बिहार में सीवरेज ढांचे की कमी के कारण 2016-17 में मेक्सिमम टोटल कोलीफॉर्म (TC) और फीकल कोलीफॉर्म (FC) का स्तर 9000 mpn/100 एमएल और 3100 mpn/100 एमएल से बढ़कर 2019-20 में 160,000 MPN/100 एमएल (TC और FC) हो गया। इससे पता चलता है कि पानी की गुणवत्ता कितनी खराब है। बिहार शहरी बुनियादी ढांचा विकास निगम (BUIDCO) समय पर काम पूरा करने में विफल रहा।”
सीएजी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए गंगा समग्र के दक्षिण बिहार संयोजक शंभुनाथ पांडे ने कहा, “गंगा और इसकी सहायक नदियां भारतीय सभ्यता के भौतिक और आध्यात्मिक निर्वाह का स्रोत रही है। उसकी बेहतरी प्रमुख राष्ट्रीय चिंता का विषय है। मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।”
तो वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री और अर्बन डिवलेपमेंट एंड हाउजिंग डिपार्टमेंट संभालने वाले तारकिशोर प्रसाद से कई बार संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन वह प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। BUIDCO के एमडी धर्मेंद्र सिंह ने कहा, “मुझे CAG की रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन हम हम सभी एसटीपी के निर्माण और मजबूतीकरण का काम जल्द पूरा करेंगे।”