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Narendra Modi vs Rahul Gandhi: वो 3 वजहें जिसके चलते बैसाखी के सहारे पहुंची बीजेपी, कांग्रेस की हुई बल्ले बल्ले!

Narendra Modi vs Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव की तस्वीर लगभग-लगभग साफ हो गई है। जहां बीजेपी सरकार तो बनाने जा रही है, लेकिन सहयोगियों के सहारे.. वहीं अब सामना एक मजबूत विपक्ष से भी होगा।

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Lok Sabha Chunav Result: लोकसभा चुनाव में 'अबकी बार 400 पार' का नारा लगाने वाली पार्टी बीजेपी+ के लिए 300 सीटे लाना भी मुश्किल हो गया। वहीं 2019 में 52 सीटें लाने वाली देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस अब अपने बुरे दौर से उबरती दिखाई दे रही है। इस चुनाव में बीजेपी बहुमत के आंकडे से 30-32 सीटें पीछे अटकती दिखाई दे रही है यानी अब बीजेपी को बहुमत के लिए गठबंधन के सहयोगियों के सहारे की जरूरत पढ़ेगी।

इस चुनाव में राहुल गांधी भी एक मजबूत नेता के रुप में उभरे हैं तो वहीं अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और स्टालिन जैसे क्षत्रपों ने एक बार फिर साबित किया है कि वो भी किसी से कम नहीं है। चलिए समझते हैं कि आखिर 2019 से 2020 के चुनाव में क्या अंतर आ गया है।

पार्टी का प्रदर्शन

2019 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 303 सीटों के साथ निर्णायक जीत हासिल की। ​​जबकि 2024 में, भाजपा ने एक मजबूत उपस्थिति बनाए रखी, उनकी सीटों की संख्या में कमी आई, जो अधिक राजनीतिक प्रतिस्पर्धी के माहौल को दिखाता है।

कांग्रेस ने 2019 में अपने प्रदर्शन की तुलना में 2024 में सुधार किया है, जो पुनरुत्थान और बेहतर संगठनात्मक रणनीतियों का संकेत देता है।

उभरती पार्टियां और गठबंधन

2024 में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ गया, कई नए गठबंधन बने और क्षेत्रीय नेताओं को प्रमुखता मिली। 2024 में विपक्षी दलों के गठजोड़ और मजबूत रणनीति के चलते इंडिया ब्लॉक मजबूत हुआ।

मतदाता और मतदान

ईसीआई के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में 64 करोड़ मतदाताओ ने मतदान किया। इस चुनाव में कोई भी बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा नहीं था। जिसके चलते पूरा चुनाव स्थानीय स्तर पर लड़ा गया। जहां बीजेपी ने पूरा कैंपेन राष्ट्रीय मुद्दों पर रखने कोशिश की तो वहीं कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों ने इसे स्थानीय बनाने की कोशिश भी की और इसमें वो कुछ हद तक सफल भी हुई। शहरी क्षेत्रों में जहां अधिक विविध मतदान पैटर्न दिखाई दिए, जो विविध मुद्दों और उम्मीदवारों के प्रोफाइल को दर्शाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय नेतृत्व और कृषि मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।