गौरतलब है कि भाजपा से अलग होने के बाद सिद्धू आवाज-ए-पंजाब फ्रंट बना चुके हैं। सुनने में आ रहा है कि उनके 10 से ज्यादा लोगों को टिकट दिया जाएगा। इन सबमें खात बात ये है कि सिद्धू को अॉफर देते समय कांग्रेस नेतृत्व ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की राय को भी नहीं माना। बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू की बनती नहीं है।
कैप्टन ने पिछले दिनों सिद्धू पर निशाना साधते हुए कह दिया था कि सीरियस पॉलिटिक्स में नॉन सीरियस आदमी का क्या काम? उससे पहले जब सिद्धू ने कांग्रेस से बात शुरू की थी तो उन्होने कैप्टन अमरिंदर सिंह को साइड लाइन करके उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को कहा था।