छत्रपती शिवाजी के वंशज संभाजी राजे वर्ष 2016 में राष्ट्रपति कोटे से भाजपा द्वारा अनुशंसित राज्यसभा सदस्य थे। वो मराठा समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वो निर्दलीय इस चुनाव के लिए उतरे हैं। उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वो किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। वो मराठा राजा, छत्रपति शिवाजी महाराज के 13 वें प्रत्यक्ष वंशज और कोल्हापुर के छत्रपति शाहू के परपोते के रूप में कोल्हापुर शाही परिवार के उत्तराधिकारी हैं। संभाजी 2011-19 में आरक्षण के लिए मराठा विरोध का चेहरा थे। वह वर्तमान में एक स्वतंत्र राजनीतिज्ञ हैं।
मराठा समुदायों के लिए उठाते रहे हैं आवाज
पिछले साल मई में मराठा आरक्षण कानून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किए जाने के बाद से संभाजी राजे मराठा समुदाय के प्रयासों को गति दे रहे हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि मराठा कोटे के लिए जगह बनाने के लिए पिछड़े वर्गों के आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।
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यही नहीं उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से OBC लाभ को मराठा समुदाय के गरीब तबके तक पहुंचाने और युवाओं को रोजगार देने के लिए सुपर न्यूमेरिकल तरीकों पर विचार करने का आग्रह किया था। बता दें उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया और इसके बजाय अपनी स्वतंत्र उम्मीदवारी की घोषणा की, अतिरिक्त वोट के लिए उन्हें बीजेपी, शिवसेना, NCP, और कांग्रेस की ओर देख रहे हैं।दरअसल, राजे छठा उम्मीदवार बनने की योजना बना रहे हैं क्योंकि भाजपा विधानसभा में अपनी-अपनी ताकत के आधार पर दो निर्वाचित और अन्य तीन, एक-एक, चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल है। उनहीँ NCP का समर्थन मिल गया है लेकिन शिवसेना का कहना है बीजेपी की कृपा से राज्यसभा गए संभाजी राजे को वह वोट देने के बजाय, उन्हें अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए और एनसीपी को शिवसेना के तीसरे उम्मीदवार को अतिरिक्त वोट देना चाहिए।