1. छह मार्गों पर छह महीने तक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाने के बाद बुधवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसे देश भर में लागू करने की घोषणा की है। शुरुआत में यह स्कीम सिर्फ ई-टिकट की बुकिंग प्रक्रिया पर ही लागू होगी।
आपको टिकट बुक कराते समय ही ‘विकल्प’ चुनना होगा। जल्द ही इसे टिकट खिड़की पर भी उपलब्ध कराया जाएगा। 2. इस स्कीम की शर्त यह है कि अगर यात्री को विकल्प के तौर पर दी गई ट्रेन में सफर नहीं करना है तो टिकट कैंसिल भी कराया जा सकेगा, लेकिन यह कन्फर्म टिकट को कैंसिल करना ही माना जाएगा।
रिफंड नियमों के मुताबिक, पूरी तरह से कन्फर्म टिकट को कैंसिल करने पर कैंसिलेशन फीस के तौर पर बड़ा चार्ज काटा जाता है। हालांकि रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह संभावना कम ही होगी कि यात्री को टिकट कैंसिल करना पड़े क्योंकि बुकिंग के समय पर ही यह बता दिया जाएगा कि विकल्प के तौर पर कौन सी ट्रेन होगी।
3. स्कीम के तहत ऐसा भी हो सकता है कि यात्री ने राजधानी या शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन का टिकट लिया हो लेकिन सफर मेल/एक्सप्रेस ट्रेन में करना पड़े। साथ ही मेल/एक्सप्रेस ट्रेन के टिकट वाले यात्रियों को राजधानी में भी सफर करने का मौका मिल सकता है।
4. हालांकि नियम के मुताबिक, ना तो राजधानी टिकट वालों को मेल/एक्सप्रेस ट्रेन में सफर करने पर रिफंड दिया जाएगा और ना ही मेल/एक्सप्रेस ट्रेन टिकट वालों से राजधानी में सफर करने पर अतिरिक्त चार्ज वसूला जाएगा।
5. विकल्प स्कीम को लागू करने के पीछे की वजह है कि इससे रेलवे को टिकट रिफंड कम करना पड़ेगा जो सीधे तौर पर रेलवे के लिए फायदेमंद साबित होगा। रेल भवन के सूत्रों ने बताया कि रेलवे को हर साल लगभग 3500 करोड़ रुपए सिर्फ रिफंड के तौर पर चुकाने पड़ते है।