scriptआरओ वाटर प्यूरीफायर में पानी की बर्बादी और एफिसिएंसी बताना जरूरी | New rule for Water purifiers, it must mention wastage efficiency rating: Report | Patrika News

आरओ वाटर प्यूरीफायर में पानी की बर्बादी और एफिसिएंसी बताना जरूरी

locationनई दिल्लीPublished: Oct 12, 2021 06:39:03 pm

पर्यावरण मंत्रालय ने वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम के लिए नियमों को अधिसूचित किया है जो अब से 18 महीने बाद लागूहोंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम के बारे में समझदारी भरा निर्णय लेने की अनुमति देना है।

आरओ प्लांट के माध्यम से हो रही तेरापंथ नगर में जलापूर्ति

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नई दिल्ली। रिवर्स ऑस्मोसिस-आधारित वाटर प्यूरीफायर (आरओ) निर्माताओं को अब अपने उपकरणों की दक्षता (एफिसिएंसी) और पानी की बर्बादी (वेस्टेज) पर रेटिंग देनी होगी। जबकि जल आपूर्ति एजेंसियों को आपूर्ति किए जा रहे पानी में कुल घुलित ठोस यानी टीडीएस लेवल घोषित करना होगा।
पर्यावरण मंत्रालय ने वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम के लिए नियमों को अधिसूचित किया है। यह नियम अब से 18 महीने में प्रभाव में आएंगे। इस संबंध में मंत्रालय के अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि इस कदम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को किस तरह के वाटर प्यूरीफायर की जरूरत है, के बारे में समझदारी भरा निर्णय लेने की अनुमति देना है।
यह नियम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 20 मई, 2019 को पर्यावरण मंत्रालय को दी गई सलाह का पालन करते हैं। इसमें कहा गया था कि मंत्रालय को आरओ-आधारित वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम्स के उचित इस्तेमाल पर रेगुलेशन के साथ आना चाहिए।
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इसके अंतर्गत ही रेगुलेशन ने पानी की आपूर्ति में लगी सभी एजेंसियों और संगठनों को उपभोक्ताओं को टीडीएस स्तर सहित आपूर्ति किए जा रहे पानी की गुणवत्ता के बारे में सूचित करने का काम सौंपा है।
रेगुलेशन के मुताबिक इन सेवाओं से जुड़े बिलों में उल्लेखित होने के अलावा, इस संबंध में पूरी जानकारी विज्ञापनों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से की जाए और इनका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना भी जरूरी है। नए ‘रेगुलेशन ऑन यूज ऑफ वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम (डब्ल्यूपीएस)’ में कहा गया है कि प्रत्येक वाटर प्यूरीफायर अब एक ‘कन्फॉर्मेंस लेबल’ के साथ आएगा। यह स्टार रेटिंग लेबल जैसा होगा, जो इसके एफिसिएंसी लेवल के साथ-साथ पानी की अस्वीकृति/अपव्यय (वेस्टेज) के स्तर की घोषणा करेगा।
ऐसा माना जाता है कि भारतीय मानक ब्यूरो ने पेयजल शुद्धिकरण प्रणालियों के लिए आईएस मानक (आईएस 16240: 2015) विकसित किया है जो कि टेक्नोलॉजी स्पेशिफिक होगा और मशीन की रिकवरी एफिसिएंसी के अलावा शुद्ध पानी की स्वीकार्य गुणवत्ता का विवरण भी देगा।
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वर्तमान में, शुद्धिकरण मशीनों में लगभग 20% पानी की रिकवर एफिसिएंसी होती है क्योंकि उनका अनुमान है कि वे प्यूरीफिकेशन के लिए, इसमें आने वाले लगभग 70-80% पानी को अस्वीकार/बर्बाद कर सकते हैं।

हरित संसाधनों के संरक्षक के रूप में पर्यावरण मंत्रालय वेस्टेज को कम करने के लिए 40-60% दक्षता स्तर के साथ चरणबद्ध तरीके से अधिक वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम लाने के लिए जोर दे रहा है। आरओ निर्माता को अब वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम पर बीआईएस से लाइसेंस के तहत मानक चिह्न/प्रमाणन प्राप्त करना होगा। नियमों में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल्द ही ड्रिंकिंग वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम से निकले अस्वीकृत पानी के प्रबंधन, भंडारण, उपयोग और निपटान के लिए दिशा-निर्देशों की घोषणा करेगा।
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