scriptगंगा को दूषित करने वाले शख्स पर लगेगा 50,000 रुपए का जुर्माना: एनजीटी  | NGT orders Rs 50,000 fine for dumping waste in river Ganga | Patrika News

गंगा को दूषित करने वाले शख्स पर लगेगा 50,000 रुपए का जुर्माना: एनजीटी 

locationनई दिल्लीPublished: Jul 13, 2017 02:58:00 pm

 गंगा नदी को बचाने के लिए देश की सर्वोच्च हरित अदालत ने नदी के किनारों से 500 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के कचरे को फेंकने पर पाबंदी लगा दी है, और नदी को दूषित करने वाले किसी भी शख्स पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

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नई दिल्ली। गंगा नदी को बचाने के लिए देश की सर्वोच्च हरित अदालत ने नदी के किनारों से 500 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के कचरे को फेंकने पर पाबंदी लगा दी है, और नदी को दूषित करने वाले किसी भी शख्स पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। राष्ट्रीय हरित पंचाट, यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को सभी प्रदूषण फैलाने वाली चमड़ा फैक्ट्रियों को नदी के पास से हटाने के निर्देश दिए हैं। 


100 मीटर के अंदर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक 
एनजीटी ने गंगा किनारे से 100 मीटर के अंदर किसी भी प्रकार के निर्माण करने पर रोक लगा दी है। एनजीटी की बेंच ने कहा कि चूंकि सरकार अब तक गंगा की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है इसलिए अब इसकी सफाई पर और धन खर्च करने की जरूरत नहीं है। साथ ही उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर होने वाली धार्मिक गतिविधियों के लिए भी दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश जारी किया है।


सबसे ज्यादा प्रदूषित नदियों में से एक है गंगा 
गंगा दुनिया की सबसे ज़्यादा प्रदूषित नदियों में से बन गई है, जिसमें रोज़ाना टनों सीवेज तथा औद्योगिक कचरा फेंका जाता है। बर्फ से ढंकी हिमालय की चोटियों से बिल्कुल साफ स्रोत के जल से निकलने वाली गंगा अलग-अलग भीड़-भरे औद्योगिक व गैर-औद्योगिक शहरों से गुजरती हुई प्रदूषण और करोड़ों श्रद्धालुओं के जरूरत से ज्यादे प्रयोग के चलते टॉक्सिक कीचड़ में तब्दील हो जाती है। 


नदी में रोजाना गिरता है 480 करोड़ लीटर सीवेज 
हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक 1,570 मील (लगभग 2,527 किलोमीटर) लम्बी गंगा नदी में बड़े-बड़े शहरों और कस्बों से रोजाना फेंके जाने वाले 480 करोड़ लीटर सीवेज में से एक चौथाई से भी कम का ट्रीटमेंट हो पाता है। औद्योगिक नगरी कानपुर में पुलों के नीचे बहती गंगा का रंग गहरा सलेटी हो जाया करता है, जहां खुले नालों में से औद्योगिक कचरा और सीवेज गंगा में गिरता रहता है, और नदी की सतह पर झाग बनता रहता है।
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