बहुचर्चित निठारी हत्याकांड के दोषी सुरेंदर कोली की फंसी की सजा को बदलने के खिलाफ यूपी सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के दोषी सुरेन्द्र कोली एवं अन्य से नोटिस जारी करके जवाब-तलब किया। राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा कोली की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदले जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
सुरेंदर कोली व अन्य को नोटिस मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई की सहमति जताते हुए कोली एवं अन्य को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने फांसी को आजीवन कारावास में बदलाउच्च न्यायालय ने एक गैर-सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट (पीयूडीआर) की जनहित याचिका तथा कोली की वादकालीन याचिका पर कोली की फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदल दी थी। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की यह दलील स्वीकार कर ली थी कि कोली की दया याचिकाओं के निपटारे में तीन साल तीन महीने की देरी हुई थी।
2006 में हुई थी गिरफ्तारीगौरतलब है कि इस मामले में सुरेंदर कोली को उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर के साथ 29 दिसंबर 2006 को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था जब पंधेर के घर के बार बने ड्रनेज से गायब लड़कियों के कंकाल और उनसे अन्य जुड़े अन्य चीजें बरामद हुई थी। कोली ने कथित तौर पर लड़कियों की हत्या करता था, फिर उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े ड्रेन या बैकयार्ड में फेंक देता था।
इन बच्चियों का हुआ था कत्लगायब होने के बाद इन बच्चियों ज्योति, पुष्पा विश्वास, नंदा देवी, पायल, रचना, हर्ष, निशा, रिम्पा हलधर, सतेंद्र, दीपाली, आरती, पायल, पिंकी सरकार, अंजली, सोनी, शेख रजा खान, बीना आदि का कत्ल कर दिया गया।
केस का पूरा घटनाक्रम 29 दिसंबर 2006: सुरेंदर कोली और उसके मालिक के घर के बाहर वाले नाले से निकले 8 कंकाल
30 दिसंबर 2006: कई और कंकाल बरामद हुए
10 जनवरी 2007: मामले में सीबीआई ने शुरू की जांच
11 जनवरी 2007: सीबीआई टीम को घर के पास से मिली 30 से ज्यादा हड्डियां
8 फरवरी 2007: सीबीआई हिरासत में भेजे गए दोनों आरोपी
11 मई 2007: गाजियाबाद कोर्ट ने मोनिंदर सिंह का हत्याओं में भूमिका के बारे में साबीआई से पूछा
12 फरवरी 2009: सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज ने रेप और हत्या में दोनों को दोषी ठहराया
11 सितंबर 2009: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को सुनाई गई मौत की सजा को दर किनार करते हुए उसे बरी किया।