राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ पर हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन तो होगा लेकिन इस बार जो अलग होगा वह होगा बीएसएफ के ऊंट दस्ते का परेड में शामिल ना होना और सेना के प्रशिक्षित डॉग स्क्वाएॅड का परेड का हिस्सा होना।
राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ पर हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन तो होगा लेकिन इस बार जो अलग होगा वह होगा बीएसएफ के ऊंट दस्ते का परेड में शामिल ना होना और सेना के प्रशिक्षित डॉग स्क्वाएॅड का परेड का हिस्सा होना।
गणतंत्र दिवस समारोह के इतिहास में यह पहली बार होगा जब सीमा सुरक्षा बल का ऊंट दस्ता राजपथ पर परेड का हिस्सा नहीं होगा। वहीं 26 साल के लंबे अंतराल के बाद भारतीय सेना का श्वान-दस्ता राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में मार्च पास्ट करेगा।
66 साल में पहली बार परेड में शामिल नहीं होगा ऊंट दस्ता
इस बार गणतंत्र दिवस परेड में बीएसएफ के ऊंट दस्ते को शामिल होने का आधिकारिक निर्देश नहीं मिला है। इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि आधिकारिक निर्देश के अभाव में ऊंटों पर सवार होने वाले 90 सदस्यीय बीएसएफ जवान और बैंड टुकड़ी इस बार कार्यक्रम के लिए ड्रेस रिहर्सल के दौरान अभ्यास नहीं कर रही है।
गौरतलब है कि बीएसएफ के ऊंट दस्ते को पहली बार 1976 के समारोह में शामिल किया गया था। उसने भारतीय थलसेना की ऐसी ही एक टुकड़ी का स्थान लिया था जो 1950 से ही गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हो रही थी।
26 साल के लंबे अंतराल के बाद डॉग स्क्वाएॅड की होगी वापसी
एक ओर जहां गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में पहली बार ऊंट दस्ता शामिल नहीं होगा तो वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना के प्रशिक्षित डॉग स्क्वाएॅड की 26 साल के लंबे अंतराल के बाद परेड में वापसी होगी।
सेना के डॉग स्क्वाएॅड से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि परेड के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित जर्मन शेफर्ड और लैब्राडोर प्रजाति के 36 कुत्तों का चयन किया गया है। इन कुत्तों के साथ उनके प्रशिक्षक भी परेड में मार्च पास्ट करेंगे।
गौरतलब है कि इस बार के गणतंत्र दिवस परेड में बहुत सारे बदलाव किए गए हैं। इस बार जहां आईटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी जैसे अर्धसैनिक बल परेड में शामिल नहीं होंगे तो वहीं फ्रांसीसी सेना की एक टुकड़ी इसका हिस्सा होगी। इस बार के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद मुख्य अतिथि होंगे।