एनडीटीवी की
रपोर्ट के अनुसार, क्रिप्टो को लेकर कैबिनेट नोट के अनुसार सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन नहीं लगाना चाहती है, बल्कि सभी प्राइवेट क्रिप्टो को रेगुलेट करेगी। सरकार इसे भारत में मुद्रा के रूप में मान्यता नही देगी। कैबिनेट के इस नोट के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी को क्रिप्टो संपत्ति का नाम दिया जाएगा ताकि आरबीआई द्वारा भविष्य में जारी किए जाने वाले डिजिटल करेन्सी के बीच ओवरलैप से बचा जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार, सभी क्रिप्टो एक्सचेंज SEBI के नियामक दायरे में आएंगे। किसी भी तरह के विनिमय प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 5-20 करोड़ रुपये तक का मौद्रिक दंड और डेढ़ साल कारावास की सजा का प्रावधान होगा।
केंद्र सरकार जल्द ही मौजूदा क्रिप्टो एक्सचेंज के लिए कट-ऑफ की भी घोषणा करेगी जिसे सेबी के तहत पंजीकृत किया जाएगा।
इस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हो गई है सरकार देश में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं देगी। इसी सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन की कार्यवाही के दौरान इसपर प्रकाश डाला था।
बता दें कि केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 लेकर आ रही है। एक बार ये बिल पारित हो गया तो कानून के तहत क्रिप्टोकरेंसी रखने वालों को सभी नियम मानने होंगे।
हालाँकि, भारत अपने स्वयं के केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) पर काम कर रहा है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा मॉनिटर किया जाएगा। बता दें कि भारत की 8 फीसदी आबादी क्रिप्टो करेंसी के बाजार में निवेश करती है। इन लोगों ने क्रिप्टो करेंसी में कुल 70 हजार करोड़ रुपये निवेश किए हैं। ये निवेश एक ऐसे बाजार में किए गये हैं जिसे भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है, परंतु अब सरकार इसे कुछ नियमों के तहत रेगुलेट कर सकती है।
सरकार की सबसे बड़ी चिंता है कि क्रिप्टो बाजार मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ते बना सकता है। अब सरकार इसे रेगुलेट करती है तो कोई भी इसका दुरुपयोग करने से बचेगा और किसी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने पर एक्शन लिया जाएगा।