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नोटबंदीः नक्सलियों के पास न दवाएं न हथियार, इस महीने सबसे ज्यादा ने किया सरेंडर

Published: Nov 29, 2016 11:44:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

नक्सल प्रभावित इलाकों से नोटबंदी के बाद अच्छी खबरें सुनने को मिल रही हैंं। नोटबंदी के बाद बहुत से नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है।

नोटबंदी के फैसले के बाद जहां बहुत से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है वहीं इसके कुछ अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों से नोटबंदी के बाद अच्छी खबरें सुनने को मिल रही हैंं। नोटबंदी के बाद बहुत से नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है। 
बीते 28 दिनों में देश में 564 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। एक महीने में नक्सलियों के सरेंडर करने की यह सबसे बड़ी संख्या है। इसे नोटबंदी का ही परिणाम माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक सरेंडर करने वाले 564 नक्सलियों आैर उनके समर्थकों में से 469 ने 8 नवंबर को नोटबंदी होने के बाद सरेंडर किया है। 
खास बात ये है कि इनमें से सबसे ज्यादा नक्सलियों ने आेडिशा के मलकानगिरी में सरेंडर किया। जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के बाद कुल सरेंडर के करीब 70 फीसदी मामले मलकानगिरी में सामने आए हैं। हालांकि इसमें पुलिस आैर सीआरपीएफ की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। पिछले महीने मलकानगिरी में 23 नक्सलियों को मार गिराया गया था। इसे भी एक कारण माना जा रहा है। 
हालांकि गौर करें तो पता चलता है कि पिछले छह सालों में से सबसे ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर 2016 में ही किया है। अब तक 1399 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है। पुराने बड़े नोटों के बंद होने के बाद नक्सली काफी परेशान हैं। पुराने नोट नहीं चलने के कारण वे हथियार, विस्फोटक, दवाएं आैर अन्य जरूरत के सामान को खरीदने में असमर्थ हैं। 
(फाइल फोटो)

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