पुणे में 99 प्रशिक्षकों के पहले बैच ने पूरी की ट्रेनिंग
सेना की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार एएमएआर के 99 प्रशिक्षकों के पहले बैच ने पुणे स्थित आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल ट्रेनिंग में पांच सप्ताह का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम की घोषणा सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने की थी। उन्होंने बताया था कि आर्मी मार्शल आर्ट्स रूटीन सैनिकों को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी मदद करेगा।
700 प्रशिक्षक सेना के जवानों को करेंगे दक्ष
आर्मी मार्शल आर्ट्स रूटीन के बारे में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एएमएआर की ट्रेनिंग के लिए 700 प्रशिक्षक तैयार किए जाएंगे। जो बाद में सेना के अन्य जवानों को एएमएआर के गुर को सिखाएंगे। मिली जानकारी के अनुसार प्रशिक्षित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमियों और सैन्य रेजिमेंटों में अन्य जवानों के लिए पढ़ाएंगे।
हथियारों के बिना लड़ने के लिए भी रहना होगा तैयार
सेना के अधिकारी ने बताया कि सैनिकों को युद्ध लड़ाई के सभी बुनियादी कौशलों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है, जो अक्सर आश्चर्य और चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। इसमें युद्ध के अलावा पारंपरिक, गैर-पारंपरिक और सैन्य अभियानों में गैर-गतिशील साधन जैसे हाथ से हाथ का मुकाबला करना शामिल है। उन्होंने बताया कि मुक्केबाजी और कुश्ती सेना में प्रमुख खेल हैं। कुछ रेजिमेंटों के पास मार्शल आर्ट का एडिशन भी है।
पहले से ही कई रेजिमेंट अलग-अलग मार्शट आर्ट फॉर्म में दक्ष
मद्रास रेजिमेंट के सैनिक केरल की प्राचीन मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू में निपुण होते है। इसी तरह, सिख सैनिकों के पास गतका और गोरखा रेजिमेंट के जवान खुखरी अभ्यास में दक्ष होते है। ऐसे ही अन्य भारतीय मार्शट आर्ट से सेना के लिए उपयोगी चीजों को निकाल कर एएमएआर ट्रेनिंग सेशन को तैयार किया गया है। इसका लक्ष्य भारतीय सैनिकों के युद्ध कौशल को बढ़ाना है।
भारत-चीन की सेना के बीच हो चुके कई झड़प
मालूम हो कि पड़ोसी देशों से जुड़ी सीमा पर कई बार ऐसी परिस्थिति बनती है जब भारतीय जवानों को हथियार के बदले दुश्मनों का जवाब हाथ-पैर से देना होता है। भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवानों के चीनी सैनिकों के साथ हुई भिड़त के कई वीडियो सामने आ चुके हैं। गलवान घाटी में हुए झड़प में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। ऐसे में मार्शल आर्ट से दक्ष होकर भारतीय जवान दुश्मन देश के सैनिकों पर और भारी पड़ेंगे।
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