NSA अजीत डोभाल की उपस्थिति में अंतरधार्मिक संवाद में सर्वसम्मति से एक संकल्प भी लिया गया। इसके अनुसार पीएफआई और ऐसे किसी भी अन्य संस्था जो देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन पर देश के कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।
चर्चा या बहस में देवी-देवता या पैंगबर को निशाना बनाने की निंदा-
इंटरफेथ डायलॉग में सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि अगर किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ किसी भी माध्यम से समुदायों के बीच नफरत फैलाने के सबूत मिलते हैं, तो उस पर कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही किसी के द्वारा चर्चा या बहस में किसी भी देवी, देवताओं या पैगंबरों को निशाना बनाने की निंदा की जानी चाहिए और कानून के अनुसार निपटा जाना चाहिए।
सबूत मिलते ही कट्टरपंथी संगठनों को किया जाए प्रतिबंधित-
इंटरफेथ डायलॉग के दौरान मौजूद हजरत सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने NSA डोभाल के सामने कहा कि जब कोई घटना होती है तो हम निंदा करते हैं। यह कुछ करने का समय है। कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम लगाने और प्रतिबंधित करने के लिए समय की आवश्यकता है। चाहे वह कोई भी कट्टरपंथी संगठन हो, अगर उनके खिलाफ सबूत हैं तो उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
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मतभेदों को जमीनी स्तर से ही करना होगा खत्म-
इस सम्मेलन के दौरान यह कहा गया कि मूकदर्शक बने रहने के बजाय हमें अपनी आवाज को मजबूत करने के साथ-साथ अपने मतभेदों पर जमीनी स्तर से ही खत्म करना होगा। हमें भारत के हर संप्रदाय को यह महसूस कराना है कि हम एक साथ एक देश हैं। हमें इस पर गर्व है और यह कि हर धर्म यहां आजादी का इजहार कर सकता है। देश की एकता को एक साथ बनाए रखना जरूरी है। चंद लोग जो धर्म या विचारधारा के नाम पर लोगों में हिंसा या संघर्ष पैदा करने की कोशिश करते हैं उसका प्रभाव पूरे देश पर होता है। इसपर लगाम लगना जरूरी है।