बैठक में अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा होगी, अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद सुरक्षा और शांति पर चर्चा होगी, इसके साथ ही अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन से पैदा हुए हालातों और खतरों से निपटने पर भी विचार-मंथन होगा। बताया जा रहा है कि बैठक के लिए पाकिस्तान और चीन को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने शामिल होने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान ने 2018 और 2019 में भी एनएसए स्तरीय बैठकों में हिस्सा नहीं लिया था।
भारत में क्यों हो रही है बैठक –
अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत के लिए भारत ने इस मीटिंग की पहल की है। इस मीटिंग में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और भविष्य को लेकर चर्चा की जाएगी। भारत की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेट्रिएट इस इन-पर्सन मीटिंग का आयोजन कर रही है। भारत, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता बहाली किये जाने के समर्थन में है।
भारत चाहता है कि अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति और भविष्य के दृष्टिकोण पर क्षेत्रीय हितधारकों तथा महत्वपूर्ण देशों को एक साथ लाया जाए ताकि अफगानिस्तान में सत्ता पलट के बाद सुरक्षा के लिहाज से बढ़ी चिंताओं को एक दूसरे के साथ परामर्श तथा समन्वय से दूर किया जा सके। बैठक में इन सभी नजरियों पर चर्चा होगी। हितों की सुरक्षा को लेकर एक साझी सुरक्षा नीति बनाने पर भी बात होगी।
नहीं शामिल हुए पाकिस्तान और चीन-
इस बैठक में भारत के निमंत्रण के बाद भी चीन और पाकिस्तान ने हिस्सा लेने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ ने कह दिया कि वह इस बैठक में हिस्सा लेने नई दिल्ली नहीं आएंगे। यूसुफ ने अपने बयान में भारत को अफगानिस्तान में शांति बिगाड़ने वाली ताकत बताया है। पाकिस्तान ने पूर्व में भी भारत की तरफ से अफगानिस्तान पर बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। चीन ने इस बैठक में भाग न ले पाने के पीछे समय का तालमेल न बन पाने को कारण बताया है।
अजीत डोभाल ने की तजाकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के NSAs से की द्विपक्षीय मुलाकात-
मंगलवार को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। अजित डोभाल ने दोनों के साथ अफगानिस्तान पर केंद्रित चर्चा की। ताजिकिस्तान के NSA के साथ द्विपक्षीय तौर पर रक्षा, सीमा प्रबंधन और सीमा अवसंरचना विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर चर्चा हुई।
उज्बेकिस्तान के एनएसए के साथ बैठक के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि अफगानिस्तान के भविष्य का फैसला वहां के लोगों को ही करना चाहिए। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की भूमिका पर बल दिया और सहमति जताई कि अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।