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विदेश मंत्रालय में बाहर के विशेषज्ञों के लिए दरवाजे खुले

Published: Jun 30, 2015 11:11:00 am

Submitted by:

firoz shaifi

 भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों पर बढ़ते काम के बोझ को हल्का करने के
उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने बाहर से सलाहकार आमंत्रित करने का निश्चय कर
लिया है। ऐसे सलाहकारों को तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा।

 भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों पर बढ़ते काम के बोझ को हल्का करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने बाहर से सलाहकार आमंत्रित करने का निश्चय कर लिया है। ऐसे सलाहकारों को तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा।

 इस फैसले का अधिसूचना मंत्रालय की वेबसाइट पर सोमवार को जारी कर दी गई। अधिसूचना के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स बंधों के विशेषज्ञों को मंत्रालय के डिवीजन पॉलिसी, प्लानिंग एंड रिसर्च डिवीजन (पीपीआर) में तैनात किया जाएगा।

यह पहला मौका है जब विदेश मंत्रालय ने बाहर से विशेषज्ञों को बुलाने का फैसला किया है। विदेश सेवा के एक पूर्व अधिकारी पवन वर्मा ने कहा कि हालांकि इन सलाहकारों ने पूर्व में मंत्रालय में काम नहीं किया है। फिर भी यह प्रयास सराहनीय है क्योंकि सलाहकारों की दक्षता का लाभ मंत्रालय को मिलेगा। सरकार को विशेषज्ञों की और भर्ती सुनिश्चित करना चाहिए।

पिछले कुछ सालों से अंतर्राष्ट्रीय संबंध बढ़ रहे हैं और हाई प्रोफाइल यात्राएं भी हो रही हैं। वर्ष 2012 में विदेस मंत्रालय में 3,500 अधिकारी थे। इसमें से सिर्फ 815 (आईएफएस-ए) थे।

उल्लेखनीय है कि पहले भी मंत्रालय में विदेश सेवा के बाहर के लोगों की नियुक्तियां होती रही हैं। इस बार अंतर यह है कि पहले ये बाहरी नियुक्तियां दूसरे मंत्रालय और सेवाओं से हुआ करती थीं, अब अकादमिक और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ लोग भी विदेश मंत्रालय में आएंगे।
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