इस लेटर में पूर्व जजों और पूर्व अफसरों ने लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ-जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला द्वारा दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित टिप्पणियों और नूपुर शर्मा को न्यायपालिका तक पहुँच से मना किये जाने से देश और दुनिया के लोगों को झटका लगा है। ये टिप्पणियां जोकि जजमेंट का हिस्सा नहीं हैं किसी भी तरह से न्यायपालिका के सिद्धांतों और निष्पक्षता के दायरे में नहीं आती है।’
पूर्व जजों, नौकरशाहों और पूर्व अफसरों ने कोर्ट के जजों की टिप्पणी को न्यायपालिका के इतिहास में धब्बे की तरह बताया है। इसमें इस बात पर भी आपत्ति जताई गई है कि याचिकाकर्ता को बिना किसी सुनवाई के दोषी ठहराया दिया गया।