पूजा स्थल कानून है असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि पूजा स्थल कानूज जो 1991 में बना वह कई कारणों से शून्य व असंवैधानिक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह कानून हिंदू, जैन, बौद्ध, को पूजा करने और धर्म का प्रचार-प्रसार करने के अधिकार का हनन करता है। यह कानून हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों, सिखों को देवता से संबंधित धार्मिक संपत्तियों के स्वामित्व व अधिग्रहण से वंचित करता है।
सांस्कृतिक विरासत वापस लेने से वंचित करता है यह कानून
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कांग्रेस सरकार के दौरान पारित यह कानून हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों के सांस्कृतिक विरासत से जुड़े पूजा स्थलों को वापस लेने से अनुच्छेद 29 के तहत वंचित करता है।