पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य 21वीं सदी के लिए बहुत जरूरी और अनिवार्य है। आत्मनिर्भर नौसेना के लिए पहले स्वावलंबन सेमिनार का आयोजन होना अपने आप में एक अहम कदम है। उन्होंने कहा कि 75 indigenous technologies का निर्माण एक तरह से पहला कदम है। हमें इनकी संख्या को लगातार बढ़ाने के लिए काम करना है।
दूसरे विश्व युद्ध के समय भारत का डिफेंस सेक्टर था मजबूत-
पीएम ने आगे कहा कि भारत का डिफेंस सेक्टर आजादी से पहले भी काफी मजबूत हुआ करता था। आजादी के समय देश में हथियार की 18 फैक्ट्रियां थी। जहां आर्टिलरी गन के साथ-साथ अन्य सैन्य साजो-सामान बना करते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम एक अहम सप्लायर थे। हमारी होवित्जर तोपों, इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनी मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था। फिर सवाल उठाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा क्या हुआ कि एक समय में हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े आयातक बन गए?
डिफेंस बजट का बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों को जा रहा-
पीएम मोदी ने आगे कहा कि बीते आठ वर्षों में हमने सिर्फ डिफेंस का बजट ही नहीं बढ़ाया है, ये बजट देश में ही डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास में भी काम आए, ये भी सुनिश्चित किया है। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है। बीते 4-5 वर्षों में हमारा डिफेंस इंपोर्ट लगभग 21% कम हुआ है।
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पिछले साल 13 हजार करोड़ का हुआ डिफेंस एक्सपोर्ट-
संगोष्ठी में मौजूद नेवी और सेना के अन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आज हम सबसे बड़े डिफेंस इम्पोर्टर की बजाय एक बड़े एक्सपोर्टर की तरह तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 8 वर्षों में हमारा डिफेंस इंपोर्ट सात गुणा बढ़ा है। अभी कुछ समय पहले ही हर देशवासी गर्व से भर उठा जब उसे पता चला कि पिछले साल हमनें 13 हजार करोड़ रुपये का डिफेंस एक्सपोर्ट किया है और इसमें भी 70% हिस्सेदारी हमारे प्राइवेट सेक्टर की है।