मोदी ने यहां संसद भवन पुस्तकालय भवन के जीएमसी बालयोगी सभागार में भाजपा के दिवंगत नेता केदारनाथ साहनी की स्मृति ग्रंथ के दो खंडों का विमोचन करने के मौके पर संबोधित करते हुए ये बात कही।
मोदी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में यह पूर्वशर्त होनी चाहिये कि व्यक्ति का जीवन बेदाग हो। लेकिन मूल्यों में गिरावट किस तरह से आई। पहले लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ निजी जीवन में तकलीफ सह लेते थे। बाद में मूल्यों का पतन हुआ और लोग नज़र बचा कर खुद के लिए थोड़ा कुछ करने लगे।
फिर वक्त बदला और लोग कहने लगे कि भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं है। पर सार्वजनिक जीवन में लोगों को ये क्या हिम्मत आ गई कि लोग भ्रष्टाचार के पक्ष में भाषण करने लगे और मैदान में उतरने लगे।
मोदी ने कहा कि मूल्यों का पतन किसी देश का सबसे बड़ा संकट होता है। उन्होंने कहा कि एक छोटा सा वर्ग आगे आकर कहने लगा है कि मैं तो भ्रष्टाचार के साथ खड़ा रहूंगा। उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में भविष्य को ध्यान में रखकर भावी पीढिय़ों के लिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘हम भी उसी संकल्प को लेकर खड़े हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि लडऩे की ताकत ना हो तो चलता है लेकिन बुराइयों का झंडा लेकर कोई चलने लगे तो यह बहुत बड़ा संकेत है। जो इन विकृतियों को आगे बढ़ाते हैं और मूल्यों से छेड़छाड़ करते हैं। उन्हें आने वाली पीढिय़ां माफ नहीं करेंगी।
उन्होंने कहा कि हम उन संस्कारों में पले हैं जो संगठन आधारित एवं राष्ट्र को समर्पित हैं। उन्होंने दिवंगत केदारनाथ साहनी को याद करते हुए कहा कि वह उन्हीं मूल्यों के लिये जीये और लड़े। उनकी प्रेरणा से उन्हें साहनी के मूल्यों पर चलने का साहस मिला है।
मंच पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी, भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल और पुस्तक के संपादक महेश चंद्र शर्मा भी मौजूद थे। कार्यक्रम में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, अनेक केन्द्रीय मंत्री और सांसद उपस्थित थे।