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सेना पर पत्थरबाजी मामला: पीएम मोदी ने कहा- जान बचाने के बाद भी पत्थर खाते हैं हमारे फौजी

Published: Apr 21, 2017 03:43:00 pm

सिविल सर्विस डे के मौके पर पीएम ने कहा कि देश में सोशल मीडिया की ताकत बहुत बड़ी है। साथ ही इसके जरिए लोगों को जागरुक बनाया जा सकता है।

pm modi

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पीएम नरेंद्र मोदी सिविल सर्विस डे के मौके पर शुक्रवार को बोलते हुए बेहतरीन काम करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया। साथ ही उन सभी अफसरों का हौसला भी बढ़ाया। इस मौके पर पीएम ने कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थरबाजी का मामला भी उठाया। 
पीएम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सेना के कुछ जवान जब कश्मीर में बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को बचाते है तो वहां के लोग उनका स्वागत तालियों से करते हैं, लेकिन वहीं कुछ समय बाद उन्हीं लोगों पर पत्थर चलाए जाते हैं। पीएम ने इस मौके पर कश्मीर को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि हम सभी को सोचना होगा कि हम किसी तरह की कोताही नहीं बरते। 
पीएम मोदी इस सभा में अफसरों को संबोधित करते हुए कहा कि पहले और आज के समय में काफी बदलाव आ चुका है। अब के समय में अधिकारियों पर अपनी शक्तियों का पता होना चाहिए। साथ ही कहा कि समय के साथ लोगों के पास कई तरह के विकल्प सामने आ चुके हैं। इसकी साथ हमारी चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। उनका कहना कि सरकार के होते हुए लोगों को बोझ के अहसास से बचाना होगा। 
मोदी ने कहा कि अधिकारियों महिलाओं से बहुत कुछ सीखने की जरुरत है। क्योंकि महिलाएं ढ़ेरों समस्या के बावजूद भी सभी कामों को एक मैनेज कर चलती है। जिससे कि वह परिवार को नई ऊंचाई पर ले जाती है। कुछ इसी तरह की जिम्मेदारी हमारे अफसरों के पास भी है। उन्हें इस जिम्मेदारी को बोझ के बजाए अपने अनुभव के आधार पर पूरा करना चाहिए। 
पीएम मोदी ने अधिकारियों से तैयारी के साथ काम करने की सलाह देते हुए कहा कि सरकार हमेशा बदलती रहती है। लेकिन आप अफसरों को अपना काम ईमानदारी के साथ पूरा करना चाहिए, जो कि आपका फर्ज बनता है। पीएम ने कहा कि जो सबसे तेज छात्र होता है वह आईएस बनता है तो उसे उसी के हिसाब के अपना काम भी पूरा करना चाहिए। 
सिविल सर्विस डे के मौके पर पीएम ने कहा कि देश में सोशल मीडिया की ताकत बहुत बड़ी है। साथ ही इसके जरिए लोगों को जागरुक बनाया जा सकता है। तो वहीं अधिकारी भी इस सुविधा का फायदा उठाकर अपना काम आसानी से कर सकते हैं। पीएम ने कहा कि लोगों के मन में भाव पैदा होना चाहिए ना कि आभाव। साथ ही विभागों को आपसी विवादों से बचने की कोशिश करनी चाहिए। 
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