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प्रधानमंत्री कार्यालय की सलाह- सांसद गोद लिए गांवों को बनाएं कैशलेस

Published: Dec 01, 2016 09:59:00 am

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सूत्र बताते है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) चाहता है कि देश के सभी सांसद गोद लिए गांव को कैशलैस गांव में तब्दील करने के लिए ई-बैकिंग और एप बैंकिग के लिए प्रशिक्षण वर्ग आयोजित करें।

समीर चौगांवकर

नई दिल्ली. विमुद्रीकरण के बाद कैशलैस सोसाइटी की और तेजी से कदम बढ़ा रही मोदी सरकार अब प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसदों के गोद लिए गांवों को कैशलैस गांव बनाने की और कदम बढ़ा रही है। 
सूत्र बताते है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) चाहता है कि देश के सभी सांसद गोद लिए गांव को कैशलैस गांव में तब्दील करने के लिए ई-बैकिंग और एप बैंकिग के लिए प्रशिक्षण वर्ग आयोजित करें और गांवों को जल्द से जल्द केशलेस विलेज में तब्दील करने की योजना पर काम शुरू करें। 
पीएम मोदी के सांसद आदर्श ग्राम योजना के पहले चरण में वाराणसी के गोद लिए गांव जयापुर और दूसरे चरण में गोद लिए गांव नगापुर गांव को कैशलैस बनाने की योजना बना ली गई है और जल्द ही इस दिशा में काम शुरू किया जाएगा। 
कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी 

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने सांसदों को आदर्श ग्राम योजना के तहत चयनित गांवों को आवश्यक साधन उपलब्ध कराने के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड का सहयोग लेने की सलाह दी है। कारपोरेट्स को सांसदों के आदर्श ग्राम में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
वाई-फाई करने की भी दी थी सलाह

उल्लेखनीय है कि इसके पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने सांसद आदर्श ग्राम योजना में गोद लिए गांव को वाईफाई करने की सलाह दी थी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ कई मंत्रियों के गांव वाईफाई हो चुके है। हालांकि ज्यादातर सांसदों के गांव अभी तक वाई-फाई नहीं हुए है। 
अक्टूबर 2014 में की थी शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को अपनी महत्वाकांक्षी आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत प्रत्येक सांसद को एक गांव गोद लेकर उसे मॉडल गांव में तब्दील करने को कहा गया था। सांसदों को 2016 तक एक गांव मॉडल विलेज के रूप में तैयार करने और 2019 तक दो अन्य गांवों को इसी तरह विकसित करने के लिए कहा था। 
हालांकि आदर्श ग्राम योजना के दूसरे चरण में अधिकांश सांसदों ने रुचि नहीं दिखाई। वहीं आधे से ज्यादा सांसदों ने दूसरे चरण में एक भी गांव को गोद नहीं लिया है। पहले चरण में ही लोकसभा के 50 सांसदों ने और राज्यसभा के 57 सांसदों ने इस योजना में दिलचस्पी नहीं ली। इनमें सत्ताधारी भाजपा के सांसद भी शामिल है।

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