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Pralay Missile Test: 24 घंटे में दूसरी बार किया गया ‘प्रलय’ का परीक्षण, जानिए क्या है पीछे की वजह

Published: Dec 23, 2021 01:11:02 pm

Pralay Missile Test रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की ओर से 24 घंटे में दूसरी बार छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का परीक्षण किया गया। दूसरी बार किया गया ये टेस्ट पूरी तरह सफल रहा। एक दिन पहले ही ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से पहला सफल परीक्षण किया गया था।

Pralay Missile Test Sucessfully by India Second Time in 24 Hours In Odisha
नई दिल्ली। भारत अपनी सैन्य ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। यही वजह है कि अत्याधुनिक हथियारों की खरीदारी से लेकर उनके उत्पादन को भी बढ़ाया जा रहा है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( DRDO ) ने 24 घंटे में छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय ( Pralay Missile Test ) का दूसरी बार सफल परीक्षण किया है। ओडिशा के बालासोर से इस मिसाइल का परीक्षण किया गया। इससे पहले 22 दिसंबर 2021 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से पहला सफल परीक्षण किया गया था। इसको लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बधाई दी थी।
प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी सटीक मारक क्षमता और इसकी गति इसे ज्यादा ताकतवर बनाती है। खास बात यह है कि यह मिसाइल अपने स्तर की अन्य मिसाइलों के मुकाबले हल्की है।

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इस वजह से किया गया दोबारा परीक्षण

मिसाइल की अलग-अलग रेंज की परख करने के लिए इसका दोबारा परीक्षण किया गया है। दरअसल 150-500 किलोमीटर तक इसकी मारक क्षमता है, लिहाजा इसके कई बार टेस्ट किए जाने हैं, ताकि अलग-अलग रेंच पर इसकी जांच की जा सके। अधिकारियों को मुताबिक दूसरी बार भी प्रलय मिसाइल अपने तमाम कसौटियों पर खरी उतरी है।

जमीन से जमीन पर मार करने के लिए बनाई गई प्रलय (Pralay) शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। डीआरडीओ ने इसे पृथ्वी मिसाइल प्रणाली (Prithvi Missile Sytem) पर बनाया है। अपने दोनों ही परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने सभी तय मानकों को पूरा किया।
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ये है मिसाइल की खूबियां


प्रलय (Pralay) मिसाइल को विकसित करने की अनुमति मार्च 2015 में दी गई थी. तब इसके लिए 332.88 करोड़ रुपये का बजट सेंक्शन किया गया था। प्रलय अपने नाम के मुताबिक दुश्न को तबाह करने की ताकत रखती है। बॉर्डर के पास से अगर इसे दाग दिया जाए तो दुश्मन के बंकरों, तोपों से लेकर बेस आदि को खत्म करने में प्रलय पलक झपकते ही अपना असर दिखाने में सक्षम है।

यह मिसाइल 5 टन वजनी है। इसमें 500 से 1000 किलोग्राम तक के पांरपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं। यह इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है। सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है। बता दें कि यह भारत की तीन शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक से मिलकर बन सकती है। ये हैं – प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 मिसाइल।

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