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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देश के नाम संबोधन, कहा – ‘2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे’

locationनई दिल्लीPublished: Aug 14, 2022 08:13:06 pm

Submitted by:

Archana Keshri

आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले आज देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार देश को संबोधित किया। वह हाल में ही भारत की राष्ट्रपति निर्वाचित हुई हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

President Draupadi Murmu Addresses Nation On Eve Of Independence Day

President Draupadi Murmu Addresses Nation On Eve Of Independence Day

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मी ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया। यह उनका पहला संबोधन है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आज का संबोधन बेहद ख़ास इसलिए भी है, क्योंकि देश ‘अमृतकाल’ में है और भारत को अंग्रेज़ों से मिली आज़ादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है।
 


25 जुलाई को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाली पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार देश को संबोधित किया। स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले प्रत्येक साल राष्ट्रपति देश को संबोधित करते हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।”
 


राष्ट्रपति ने स्मृति दिवस को लेकर कहा,”हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। आज़ादी का अमृत महोत्सव मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है।”
 


राष्ट्रपति ने महिलाओं को लेकर कहा, “अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। समाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है। हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। हमारी बेटियां फाइटर पायलट से लेकर स्पेस साइंटिस्ट होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।”

स्वास्थ्य के क्षेत्र को लेकर राष्ट्रपति ने कहा, “जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। मने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं। आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है।”

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नागरिकों को मूल कर्तव्यों के बारे में याद दिलाते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। देश के प्रत्येक नागरिक से मेरा अनुरोध है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके। भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं।”
 


पर्यावरण को लेकर राष्ट्रपति ने कहा, “आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।” बता दें, देश सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली मुर्मू सबसे कम उम्र की महिला हैं और आदिवासी समाज से आने वाली भी वह पहली हैं। द्रौपदी मुर्मू पहली ऐसी राष्ट्रपति हैं जिनका जन्म देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद हुआ था।

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