राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को मंगलवार को मंजूरी दे दी। मुखर्जी ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिया।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को मंगलवार को मंजूरी दे दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुखर्जी ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिया।
गौरतलब है कि राज्य में संवैधानिक संकट के मद्देनजर गत रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी और उसके बाद मंत्रिमंडल का यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट उस समय गहरा गया, जब 60 सदस्यीय विधानसभा में सत्तापक्ष कांग्रेस के 47 में से 21 विधायकों ने मुख्यमंत्री नाबाम तुकी को हटाने की मांग की थी। सीएम नबाम टुकी के कुछ विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया था, जिसमें सरकार की हार हुई थी। बता दें कि स्टेट एसेंबली में कुल 60 सीटें हैं।
क्या है सीटों का हिसाब?
2014 में हुए चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी को 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) को पांच सीटें मिलीं। बाद में पीपीए के विधायक कांग्रेस में शमिल हो गए थे। इस लिहाज से सत्तापक्ष के पास 47 विधायक थे। इनमें से 21 विधायकों के बागी होने के बाद कांग्रेस के पास 26 विधायक बचे हैं। सरकार बचाने के कांग्रेस को 31 विधायकों के समर्थन की जरुरत है।
अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ SC पहुंची कांग्रेस
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। कांग्रेस ने मंत्रिमंडल के फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं विवेक तन्खा ने इसकी पुष्टि की है। सिब्बल ने बताया कि कांग्रेस ने अपील दायर कर दी है और जल्द ही इसकी सुनवाई होगी। याचिका कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मुख्य सचेतक बामंग फेलिक्स की ओर से दायर की गई है।
विपक्ष ने साधा था निशाना
– कैबिनेट द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश पर कांग्रेस नेता वी नारायणस्वामी ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया है।
– कपिल सिब्बल ने कहा- ‘हम केंद्र के इस फैसले को चुनौती देंगे।’ केंद्र सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है और इन्हें पता है कि यह प्रस्ताव राज्यसभा में कभी पास नहीं हो सकता है क्योंकि यह पूरी तरह से राजनीतिक कदम है।
– दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान की हत्या’ करार दिया है।
CM ने गवर्नर को बताया था ‘बीजेपी का एजेंट’
मुख्यमंत्री नाबाम तुकी ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा ‘बीजेपी के एजेंट’ के रूप में काम कर रहे हैं और कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ उनकी सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं।