द्रौपदी मुर्मू ने विधायकों और सांसदों से संवाद के दौरान सम्बोधित करते हुए कहा कि राजस्थान की वीर प्रसूता भूमि की वंदना एवं नमन करते हुए सभी प्रदेशवासियों को हृदयतल से नमस्कार करती हूँ। गुलाबी नगरी आना उतना ही सुखद है जितना अपनों के बीच अपने मन और दिल की बात कहना। ओडिशा में छोटे-छोटे सपनों के साथ पली-बढ़ी जनजाति समाज की एक बेटी को राष्ट्रपति भवन तक जाने का रास्ता दिया गया, यह लोकतांत्रिक स्वप्न है, यही अन्त्योदय है, यह गाँव, गरीब और जंगल की बेटी पर विश्वास जताना है।
मुर्मू ने कहा कि राजस्थान और ओडिशा में भौगोलिक परिस्थितियों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों राज्यों में काफी समानताएं हैं, जिनमें प्रकृति के साथ जीना, राजस्थान के लोगों द्वारा जल को जीवन की भाँति संवारकर रखना, इसी प्रकार ओडिशा के लोगों को चक्रवाती तूफानों के बावजूद जिंदगी का पहिया नई उम्मीदों के साथ घूमाते रहना आता है। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अब सुरक्षित एवं विकसित होती व्यवस्था के मुख्य भागीदार बन रहे हैं। पिछले कई वर्षों में वंचितों, शोषितों एवं आदिवासियों के जीवन में उन्नति के साथ बड़े बदलाव आये हैं।उन्होंने कहा कि विकास अब दूरस्थ क्षेत्रों तक बराबरी से पहुँच रहा है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार आदिवासी समाज की एक बेटी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना, जिसका सबसे जीवंत उदाहरण है, जो देश के सभी आदिवासी भाई-बहनों का सम्मान है।