प्रशासन ने इस जाम से मुक्ति के लिए इंतजाम किए थे लेकिन वह फेल हो गए। क्योंकि जब तक व्यापारियों का सामान सडक़ों से अंदर नहीं पहुंचेगा तब तक जाम की स्थिति में सुधार नहीं हो पाएगा। सडक़ें तो काफी चौड़ी हैं लेकिन अतिक्रमण की चपेट के चलते वह सकरी हो गई हैं और जब प्रशासन कार्रवाई के लिए आगे आता है तो व्यापारी ही प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करते हैं और विवाद की स्थिति निर्मित करते हैं और कहा जाता है कि हमें अपनी हद बता दो।
एक तरफ ही डली पेंट की लाइन
विधायक द्वारा ली गई बैठक में तय हुआ था कि संपूर्ण शहर में पेंट की लाईन डाली जाएगी। इसके बाद सडक़ पर रखे हुए सामान पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने अभी तक केवल एक तरफ ही सडक़ पर लाईन डाली है। बाकी शहर में कहीं भी प्रशासन लाईन नहीं डाल सका है।
जबकि इस लाईन की कही हुई बात को दो महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं। वहीं एक बात और समझ से परे है कि यदि प्रशासन ट्रेफिक में सुधार की बात कर रहा है तो फिर लाईन अभी तक क्यों नहीं डलवा पाया है। क्योंकि यदि लाईन से पहले कार्रवाई करते हंै तो वापिस से व्यापारी विवाद करने के लिए तैयार खड़े होंगे और कार्रवाई को किए बिना ही प्रशासन को वापिस लौटना पड़ेगा। क्योंकि जब जब भी प्रशासन के द्वारा कार्रवाई की गई है तब तब व्यापारियों के द्वारा लाईन को लेकर विवाद हुआ है।
नहीं हट सका ट्रांसफार्मर
त्योंदा रोड पर पचमा बाइपास जाने वाले रास्ते पर एक ट्रांसफार्मर रखा हुआ है वह ट्रांसफार्मर ट्रेफिक में रूकावट बनता है और जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। भारी वाहन तो वहां से निकालने में काफी मशक्कत चालक को करनी पड़ती है। साथ ही ट्रैक्टर ट्रालियों को मोडऩे में परेशानी होती है और जाम के हालात निर्मित हो जाते हैं। क्योंकि इस पचमा बाइपास से सैकड़ों की संख्या में वाहन रोजाना गुजरते हैं। कई बार तो पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ता है और जाम को खुलवाने के बाद आवागमन चालू हो पाता है। हालांकि तब तक घंटों का समय निकल जाता है और परेशानी होती है। महासंघ के अनुरोध के बाद भी नहीं हटाते दुकानों के सामने रखा सामान