ताजा जानकारी के मुताबिक गुरुवार को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने सभी प्रमुख तेल उत्पादक राज्यों को पत्र लिखा है। विभाग ने इस पत्र में राज्यों को उचित और तत्काल कार्रवाई करने के लिए लिखा है ताकि खाद्य तेलों की कीमतों को आयात शुल्क में कटौती के अनुरूप स्तर पर लाया जाए, यह सुनिश्चित हो सके।
विभाग के निर्देश में कहा गया है कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि खाद्य तेलों की मौजूदा उच्च कीमतों से तत्काल राहत प्रदान करने के लिए केंद्र द्वारा की गई शुल्क में कमी का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए। यह खाद्य तेलों की कीमतों में 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम (लगभग) की कमी लाएगा।
दरअसल, केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले खाद्य तेलों के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिए इनके आयात शुल्क में कटौती कर दी थी। सरकार ने त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को कुछ राहत देने के लिए खाना पकाने के तेलों पर आयात शुल्क में यह कटौती की थी क्योंकि इनकी कीमतें एक साल से अधिक वक्त से उच्च स्तर पर हैं।
कच्चे तेल और रिफाइंड पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क को 16.5% से 19.25% के बीच कटौती करने के लिए किया गया है। यह कटौती 14 अक्टूबर से प्रभावी हो गई है और 31 मार्च, 2022 तक के लिए लागू रहेगी।
इस बीच पाम आयल का एक महीने का आयात सितंबर 2021 में तेजी और मजबूत मांग के कारण 25 वर्षों के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था। कच्चे पाम तेल पर शुल्क में कमी का असर करीब 14,000 रुपये प्रति टन है, जबकि कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर यह कटौती 20,000 रुपये प्रति टन है।
बता दें कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग देश की खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। यह विभाग कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे- खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति, भंडारण एवं वितरण, वितरण एजेंसियों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने आदि का संचालन करता है। यह खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आता है और पीयूष गोयल इसके कैबिनेट मंत्री हैं।