कलेर ने आगे कहा, “कांग्रेस की सरकार ने डीजीपी बदल कर जांच ब्यूरो के चीफ बदलकर कई कोशिशें की उन्हें फँसाने की लेकिन आज कोर्ट ने इस मामले में फैसला देकर सभी झूठ को उजागर दिया है।”
ड्रग्स केस में बिक्रम सिंह मजीठिया पर गंभीर आरोप हैं। दरअसल, वर्ष 2013 में जब 600 करोड़ रुपये के ड्रग रैकट का पर्दाफाश हुआ था तब इस मामले में मुख्य आरोपी जगदीश भोला भी गिरफ्त में आया था। इस आरोपी ने पूछताछ में बिक्रम मजीठिया का नाम लिया था। मजीठिया पर आरोप थे कि वो चुनाव के लिए ड्रग तस्करों से फंड लेते रहे हैं और ड्रग तस्करों के बीच समझौता करवाने के भी गंभीर आरोप उनपर लगे।
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इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस की तत्कालीन सरकार पर इन्हें गिरफ्तार करने का दबाव बनाया था। इस मामले के चार साल बाद कांग्रेस सरकार ने डीजीपी इकबाल प्रीत को पद से हटा दिया और सिद्धू के करीबी सिद्धार्थ चटोपाध्यय को नया डीजीपी बना दिया था। सिद्धार्थ ने इसके बाद बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 25, 27 ए और 29 के तहत केस दर्ज किया था।
कांग्रेस के शासनकाल में पिछले वर्ष 20 दिसम्बर 2021 को उनके खिलाफ NDPS ऐक्ट के तहत FIR दर्ज की गई थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने तक मजीठिया की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी लेकिन वोटिंग के बाद 24 फरवरी को मजीठिया ने मोहाली कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद से ही वो पटियाला जेल में बंद हैं।
नशा करता है नाश, बढ़ गया है तस्करी का ग्राफ
NDPS Act क्या है?नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS) को वर्ष 1985 में भारतीय संसद में पारित किया गया था। इसका उद्देश्य देश में बढ़ रहे ड्रग के नेटवर्क को तोड़ना था। इस ऐक्ट को वर्ष 1988, 2001 और 2014 में संशोधित भी किया जा चुका है। नशीले प्रदार्थ का सेवन करने या बनाने या इसकी खरीद-बिक्री करना कानून के खिलाफ माना जाएगा। इस ऐक्ट के तहत केंद्र सरकार प्रतिबंधित ड्रग्स की लिस्ट जारी करती है और ये राज्य सरकारों की सलाह पर अपडेट भी होती है। इन ड्रग्स की तस्करी या इसका सेवन करने से जुदा कोई भी व्यक्ति अपराधी माना जाएगा।