अपराह्न् 3.50 बजे पर मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि, पंजाब सरकार, राज्यपाल से मांगी गई जानकारी देने के लिए बाध्य है। पंजाब सरकार और गवर्नर के बीच टकराव पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अधिकारियों को आधिकारिक संचार में निश्चित स्तर की बातचीत को बनाए रखना है। साथ ही, विधानसभा बुलाने पर कैबिनेट की सिफारिशों को स्वीकार करना भी राज्यपाल का कर्तव्य है। इससे पूर्व पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया कि, राज्यपाल संविधान का पालन नहीं कर रहे।
पिछले हफ्ते, राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि, वह मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिखे गए अपमानजनक और असंवैधानिक ट्वीट्स और पत्र पर कानूनी सलाह लेने के बाद ही तीन मार्च को प्रस्तावित राज्य के प्रस्तावित बजट सत्र की अनुमति देने पर फैसला करेंगे। मंत्रिपरिषद ने सिफारिश की थी कि, बजट सत्र 3-24 मार्च तक आयोजित किया जाए और राज्यपाल की स्वीकृति के लिए एक पत्र भेजा गया था।
पत्र में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री द्वारा उनके पत्र के जवाब में 13 और 14 फरवरी को भेजे गए ट्वीट और पत्र को फिर से प्रस्तुत किया। 13 फरवरी को, राज्यपाल ने प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजे जाने वाले शिक्षकों के चयन में पारदर्शिता की कमी सहित पिछले कुछ हफ्तों में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर सवाल उठाते हुए उनकी आलोचना की थी।
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब इन्फोटेक के चेयरपर्सन के रूप में एक दागी व्यक्ति की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया था और कहा था कि वह संपत्ति हड़पने और अपहरण के मामलों में आरोपी है। राज्यपाल ने प्रधानाध्यापकों को सिंगापुर भेजने के लिए उनकी पूरी चयन प्रक्रिया का मानदंड और विवरण मांगा था, क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं के आरोप थे।