पंजाब की आप सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसान यूनियनों से नारेबाजी बंद कर पंजाब के घटते जलस्तर को रोकने के लिए राज्य सरकार का साथ देने की अपील की है। मान ने कहा कि किसानों के लिए बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन ‘‘खोखले नारे’’ घटते जल स्तर पर लगाम लगाने के उनके संकल्प को नहीं तोड़ सकते। मान ने यह भी कहा कि वह एक किसान के बेटे हैं और किसानों की समस्या से अच्छी तरह वाकिफ है।
पंजाब के आंदोलनरत किसानों के ये हैं प्रमुख मांगें-
किसान प्रति क्विंटल गेहूं पर 500 रुपए का बोनस चाहते हैं। उनका कहना है कि भीषण गर्मी के कारण उनकी उपज घट गई है और गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं। वे बिजली के बोझ को कम करने और भूमिगत जल के संरक्षण के लिए 18 जून से धान की बुवाई की अनुमति देने के पंजाब सरकार के फैसले के भी खिलाफ हैं। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे। साथ ही किसान मक्का और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए अधिसूचना भी जारी करवाना चाहते हैं। बिजली लोड को बढ़ाने पर लगने वाले शुल्क को 4,800 से घटाकर 1,200 करने और स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का विरोध कर रहे हैं। इसके साथ-साथ किसान गन्ना भुगतान जारी करने की भी मांग कर रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः
चंडीगढ़ में अनिश्चितकालीन विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी-
दूसरी ओर आंदोलन कर रहे किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने पंजाब की आप सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री बुधवार तक प्रदर्शनकारियों के साथ बैठक नहीं करते हैं, तो वे अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करने के लिए चंडीगढ़ की ओर बढ़ेंगे। धरने पर बैठे एक किसान नेता ने कहा कि वे राज्य सरकार के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर उनके मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो उन्हें अवरोधकों को तोड़ना पड़ेगा और फिर चंडीगढ़ की ओर बढ़ना होगा।