दरअसल, इस सीट से AAP की जीत तो आसान मानी जा रही थी, लेकिन मूसेवाला हत्याकांड ने पूरी बाजी ही पलट दी है। आप सरकार मूसेवाला की हत्या के कारण कानून व्यवस्था को लेकर चारों तरफ से घिरी हुई है।
मान सरकार द्वारा सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो गई। ये मामला पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट पहुँच गया जहां कोर्ट ने सुरक्षा वापस लिए जाने की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए मान सरकार को फटकार लगाई थी। इस मामले से युवाओं में आप के खिलाफ रोष बढ़ा तो मूसेवाला के पिता के दर्द को देख वयस्क में भी मान सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ा। इस मुद्दे को विपक्ष ने भी खूब भुनाया जिससे आम आदमी पार्टी की सभी रणनीतियां धरीं की धरीं रह गईं।
मूसेवाला की हत्या के बाद राज्यभर में कई बड़े दिग्गजों को आए दिन जान से मारने की धमकियाँ मिलना और खालिस्तानी गतिविधियां बढ़ना भी AAP के लिए गले की हड्डी बन गया है। विपक्ष लगातार राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ने को लेकर आप सरकार को घेर रही है।
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चुनावी वादों को पूरा करने की बजाय बनाए बहानेइसके अलावा आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनावों से पूर्व आम जनता को मुफ़्त बिजली देने और महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये देने का वादा किया। दोनों ही वादे सरकार बनते ही पूरे करने की बजाय मान सरकार ने बहाने सामने रख दिए। चुनावों में जीत के बाद AAP ने हर महीने 300 यूनिट मुफ़्त बिजली देने की बात तो कही लेकिन उसके साथ कुछ शर्तें रखीं जो आम जनता को नाराज करने के लिए काफी था।
इसके बाद महिलाओं को हर महीने 1 हजार देने के मामले पर आम आदमी पार्टी ने ये बहाना दिया की सरकारी खजाने में पैसे ही नहीं है इसलिए ये वादा अभी तो पूरा नहीं हो सकेगा।
कमजोर उम्मीदवार
इस हार के पीछे एक और कारण आम आदमी पार्टी ने एक मजबूत चेहरे की बजाय गाँव के सरपंच को उम्मीदवार बनाया जाना हो सकता है जिसकी जनता में अपील कमजोर दिखाई दी। वास्तव ये नतीजा आम आदमी पार्टी के 100 दिनों के कार्यकाल पर जनता के फीडबैक के रूप में सामने आया है।