सेल एंड साइंस जर्नल में प्रकाशित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक जीवन के विकास की इस प्रक्रिया को ‘प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस’ कहा जाता है। इसमें एक सूक्ष्म जीव दूसरे को निगल लेता है और उसे आंतरिक अंग की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। मेजबान कोशिका उसे पोषण, ऊर्जा व सुरक्षा देती है।
प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस में इस बार शैवाल ने यूसिन नाम के बैक्टीरिया को निगला और नाइट्रोप्लास्ट नाम का नया जीव सामने आया। वैज्ञानिकों का कहना है कि नाइट्रोप्लास्ट सीधे हवा से नाइट्रोजन लेकर उसे दूसरे तत्वों से जोड़कर उपयोगी यौगिक बना सकता है।
चार अरब साल में सिर्फ दो बार हुआ ऐसा
पृथ्वी पर जीवन के करीब चार अरब साल में प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस की प्रक्रिया दो बार ही हुई है। पहली बार यह 2.2 अरब साल पहले हुई थी, जब आर्किया नाम के जीव ने बैक्टीरिया को निगल लिया था और नया जीव माइटोकॉन्ड्रिया बना था। माइटोकॉन्ड्रिया को आज भी ‘कोशिका का पावरहाउस’ कहा जाता हैं। दूसरी बार 1.6 अरब साल पहले एडवांस्ड कोशिकाओं ने साइनोबैक्टीरिया को निगला था।
पृथ्वी पर जीवन के करीब चार अरब साल में प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस की प्रक्रिया दो बार ही हुई है। पहली बार यह 2.2 अरब साल पहले हुई थी, जब आर्किया नाम के जीव ने बैक्टीरिया को निगल लिया था और नया जीव माइटोकॉन्ड्रिया बना था। माइटोकॉन्ड्रिया को आज भी ‘कोशिका का पावरहाउस’ कहा जाता हैं। दूसरी बार 1.6 अरब साल पहले एडवांस्ड कोशिकाओं ने साइनोबैक्टीरिया को निगला था।
जैविक इंजीनियरिंग में होंगे नए शोध
साइनोबैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा हासिल कर सकता है। कोशिकाओं से इसके मिलन से क्लोरोप्लास्ट नाम के जीव बने। इनके जरिए पौधे सूर्य की रोशनी से ऊर्जा पाते हैं। पौधों की पत्तियों का हरा रंग भी इवॉल्यूशन का नतीजा है। प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस की तीसरी घटना ने जैविक इंजीनियरिंग में शोध के नए रास्ते खोल दिए हैं।
साइनोबैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा हासिल कर सकता है। कोशिकाओं से इसके मिलन से क्लोरोप्लास्ट नाम के जीव बने। इनके जरिए पौधे सूर्य की रोशनी से ऊर्जा पाते हैं। पौधों की पत्तियों का हरा रंग भी इवॉल्यूशन का नतीजा है। प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस की तीसरी घटना ने जैविक इंजीनियरिंग में शोध के नए रास्ते खोल दिए हैं।