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अब संघ ने उठाया जनसंख्या वृद्धि में असंतुलन का मुद्दा, नई नीति बनाने की मांग

Published: Nov 01, 2015 08:12:00 am

Submitted by:

firoz shaifi

 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने जनसंख्या वृद्धि में असंतुलन के
चलते देश में आजादी के बाद कुल जनजसंख्या में मुसलमानों के अनुपात में
साढ़े चार प्रतिशत की वृद्धि और उत्तरपूर्वी राज्यों में घुसपैठ करने
वालोंं  की संख्यार में तेजी से हुई वृद्धि पर चिंता जताई है।

संघ ने मोदी सरकार ने विदेशी घुसपैठ पूरी तरह बंद करने एवं नई जनसंख्या नीति बनाने का अनुरोध किया है।संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल तीन दिवसीय बैठक के बाद सह सरकार्यवाहक कृष्ण गोपाल ने कहा कि साल 2011 की जनगणना की धर्म आधारित जनसंख्या के आंकड़े चौंकाने वाले हैं और यह स्वयं यह बताते हैं कि देश में नई जनसंख्या नीति बनाए जाने की तत्काल आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि संघ ने जनगणना के इन आंकड़ों और उत्तर पूर्व और देश के अन्य भागों में हो रही घुसपैठ के चलते जनसंख्या वृद्धि में व्यापक असंतुलन पर विस्तृत विचार विमर्श करने के प्रस्ताव पारित किया।

 संघ केंद्र सरकार से अनुरोध करता है कि वह देश में उपलब्ध संसाधनों और भविष्य की आवश्यकताओं और जनसंख्या असंतुलन की समस्या को ध्यान में रखते हुए सभी के प्रति समान भाव के साथ शीघ्र नई जनसंख्या नीति बनाए।

प्रस्ताव में केंद्र सरकार से सीमा पार होने वाली घुसपैठ पूूर पूरी तरह रोक लगाए जाने, देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रीय पंजिका बनाने और देश के बाहर से घुसपैठ करने वालों को भारत की नागरिकता लेने से रोकने के पुख्ता इंतजाम करने और उनके यहां अचल संपत्ति खरीदने पर पूरी तरह रोक लगाने की पुख्ता व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया।
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कृष्ण गोपाल ने कहा कि असम और पश्चिम बंगाल में बड़ी तेजी से जनसंख्या का स्वरूप बदल रहा है और स़ुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उपमन्यु़ हजारिका की रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार की आवश्यकता है।
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 इस रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में बदलाव न होने पर साल 2047 तक असम में भारतीय जनसंख्या से अधिक विदेेशी जनसंख्या होगी।

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