यह सर्वेक्षण 19 राज्यों में फैले 50 हजार गांवों में किया गया। इसमें कहा गया है कि उन इलाकों के महज एक फीसदी परिवार साल में सौंदर्य प्रसाधन सामग्री पर एक हजार या उससे ज्यादा रकम खर्च करते हैं जबकि 63 फीसदी लोगों के मामले में यह खर्च 400 रुपए से भी कम है।
माना जा रहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और लोगों में इसके प्रति जागरुकता अभियानों की कमी के चलते यह स्थिति है। इनमें मनोरंजन के साधनों की कमी के चलते नशे का प्रयोग भी एक कारण हो सकता है।
एलोपैथी के बजाय घरेलू इलाज को तरजीह
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च कम होने की प्रमुख वजह है कि वहां लोग अब भी एलोपैथिक दवाओं की बजाय घरेलू उपायों को ही तरजीह देते हैं।