SBI ने अपने अपने बयान में कहा, “SBI ने हाल ही में बैंक में भर्ती के लिए विभिन्न फिटनेस मानकों की समीक्षा की है, जिसमें गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए मानदंड भी शामिल हैं, संशोधित दिशानिर्देशों का उद्देश्य विभिन्न स्वास्थ्य मापदंडों पर स्पष्टता प्रदान करना था जहां निर्देश स्पष्ट नहीं थे या बहुत पुराने थे। मीडिया के कुछ वर्ग ने इस संबंध में मानदंडों में संशोधन को महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण बताया है।”
एसबीआई ने आगे लिखा, “हम हमेशा अपनी महिला कर्मचारियों की देखभाल और सशक्तिकरण के प्रति हमेशा सक्रिय रहे हैं और अब ये कुल कार्यबल का लगभग 25 प्रतिशत हैं। कोरोना के समय में सरकार के निर्देशों के अनुसार गर्भवती महिला कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होने से छूट दी गई है और घर से काम करने की अनुमति दी गई है।”
SBI बैंक द्वारा 31 दिसंबर को एक सर्कुलर जारी किया गया था। इस सर्कुलर में कहा गया था कि यदि गर्भावस्था 3 महीने से अधिक की है, तो उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य है और उसे बच्चे के जन्म के बाद 4 महीने के भीतर भर्ती होने की अनुमति मिल दी जा सकती है।
इस सर्कुलर को लेकर एसबीआई को सोशल मीडिया पोर भी काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। यहाँ तक कि महिला आयोग ने भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा था और इसे भेदभावपूर्ण बताया था।
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