कोर्ट ने इस व्यवस्था पर कहा है कि किस आधार पर महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया है। ईश्वर सर्वव्याप्त है। उनकी कोई भी पूजा कर सकता है। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या परंपरा संविधान से ऊपर है।
इससे पहले जनवरी में भी सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एनवी रमण की पीठ ने मंदिर में महिलाओं के बैन पर आपत्ति जताई थी। सबरीमाला में महिलाओं के बैन का यह मामला 10 साल से कोर्ट में विचाराधीन है। यह प्रतिबंध केरल में ज्यादातर मंदिरों का प्रबंधन देखने वाली संस्था त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने लगाया है।
स्कैनर का दिया था हवाला 2015 में मंदिर प्रबंधन ने कहा था कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ऐसे स्कैनर बनने के बाद ही दिया जा सकता है जो उनकी शुद्धता का जांच सके।