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SC: सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया उड़ीसा हाईकोर्ट का फैसला, कहा-‘राजनीतिक गतिविधि पर रोक मौलिक अधिकारों का हनन’

Supreme Court : अब अदालतें राजनीतिक गतिविधि पर रोक नहीं लगा पाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश को पलटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक गतिविधि पर रोक मौलिक अधिकारों का हनन माना है।

Mar 27, 2024 / 02:46 pm

Anand Mani Tripathi

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश में कहा कि निचली अदालतों में जमानत देने की शर्तों में ‘राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होने’ को शामिल नहीं किया जा सकता। इससे व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि जमानत देते हुए ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती, जिससे किसी के मौलिक अधिकारों का हनन होता हो। राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध संवैधानिक स्वतंत्रता का भी उल्लंघन है। पीठ ने यह आदेश उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया।

ओडिशा के बहरामपुर नगर निगम के पूर्व मेयर सिबा शंकर दास ने हाईकोर्ट के 18 जनवरी को पारित आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने जमानत की शर्त वापस लेने की मांग करने वाली उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि दास सार्वजनिक रूप से कोई अप्रिय स्थिति पैदा नहीं करेंगे। वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी राजनीतिक गतिविधि में भी शामिल नहीं होंगे। आदेश को दोषपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी शर्त अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन करती है। इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।

यह है मामला
बहरामपुर नगर निगम के पूर्व मेयर और भाजपा नेता सिबा शंकर दास को 11 अगस्त, 2022 को जमानत देते हुए निचली अदालत ने शर्त लगाई थी कि वह किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। दास ने जमानत की शर्तों में सुधार की अपील करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने उनकी अपील नामंजूर कर दी थी। इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

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