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PM माेदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से की मुलाकात, SCO में भारत के समर्थन के लिए दिया धन्यवाद

locationकांकेरPublished: Jun 09, 2017 12:49:00 pm

Submitted by:

Abhishek Pareek

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलकात करके द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। दोनों नेताओं की यह मुलाकात कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई शिखर सम्मेलन (एससीओ) से इतर हुर्इ। 

मोदी ने इस मुलाकात के दौरान एससीओ में भारत की सदस्यता के समर्थन के लिए चीन का धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर हमारे देश की जनता विशेष रूप से युवा वर्ग भविष्य के प्रति आशावादी सोच रखते हैं। भारत के चीन में आयोजित वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) सम्मेलन का बहिष्कार करने के बाद मोदी और जिनपिंग की बैठक हुई है। दोनों नेताओं ने बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। 
भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी)की सदस्यता पर भी चीन से गंभीर मतभेद हैं। भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर चिंता जताते हुए ओबीओआर बैठक का बहिष्कार किया था। 

एससीओ के संस्थापक सदस्यों में चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, तजकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान हैं। भारत वर्ष 2005 से एससीओ में पर्यवेक्षक रहा है। अस्ताना शिखर सम्मेलन के बाद चीन इसकी अध्यक्षता प्राप्त करेगा आैर अगले साल वह अपने देश में इसका आयोजन करेगा। प्रधानमंत्री ने बाद में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिरजियोयेव से बातचीत की। 
यहां आने के तुरंत बाद गुरुवार को मोदी ने कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान दोनों नेताओं ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास सहित द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर चर्चा की। मोदी ने गुरुवार रात को अस्ताना ओपेरा के लीडर्स लाउंज में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मुलाकात की, जो 17 महीनों के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात थी।
हम आपको बता दें कि साल 2001 के बाद पहली बार एससीआे का विस्तार हो रहा है। भारत आैर पाकिस्तान को इसकी पूर्णकालिक सदस्यता मिलने के बाद इसकी संख्या छह से बढ़कर आठ हो जाएगी। खास बात ये है कि अब तक इसमें चीन का प्रभुत्व रहा है। भारत को सदस्यता मिलने के बाद माना जा रहा है कि इस संगठन में चीन का प्रभुत्व कम होगा। 
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