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शिवसेना सांसद का दावा, यूपीए सरकार में हुआ रेलवे भर्ती घोटाला 

Published: Mar 15, 2015 11:54:00 am

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संप्रग सरकार के कार्यकाल में रेलवे में एक भर्ती घोटाला होने का आरोप लगाते हुए शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने उसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। 

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में रेलवे में एक भर्ती घोटाला होने का आरोप लगाते हुए शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने उसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

सावंत ने यहां कहा कि रेल मंत्री के कोटे से सहायक स्टेशन मास्टरों एवं टिकट परीक्षकों की भर्ती के लिए देश के विभिन्न भागों से युवकों को लालच देकर सात-सात लाख रूपए ऎंठ लिए गए तथा उन्हें 15 दिन के अंदर मेडिकल जांच सहित भर्ती की प्रक्रिया पूरी करके कोलकाता में ट्रेनिंग कराई गई और फिर तीन माह दानापुर एवं कई अन्य स्थानों पर पर्यवीक्षाधीन ड्यूटी भी कराई गई लेकिन बाद में युवकों को पता चला कि उन्हें ठगा गया है।

सावंत ने बताया कि उन्होंने गत सप्ताह इस मामले को संसद में भी उठाया है और रेल मंत्री सुरेश प्रभु को भी जानकारी दी है। उनका दावा है कि यह घोटाला इतनी सफाई से अंजाम दिया गया है कि आखिरी तक किसी को तनिक भी शंका नहीं हुई। इससे लगता है कि इसके तार रेलवे में उच्च स्तर तक जाते हैं इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराना जरूरी है।

उन्होंने बताया कि इससे पीड़ति कुछ युवकों ने उनसे भेंट करके इस संबंध में पूरे कागजात सौंपने के साथ मामला बताया, जिसमें महाराष्ट्र के 43 युवक शिकार बने हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि अन्य राज्यों के भी अनेक नौजवानों को भी इसी प्रकार से ठगा गया हो।

कुछ इस तरह से हुई ठगी
सावंत के मुताबिक जून 2013 को युवकों को एक व्यक्ति मिला, जिसने उन्हें बताया कि रेलवे में मंत्री का भर्ती कोटा होता है और अगर वे चाहें तो उनकी भर्ती हो सकती है। उस व्यक्ति ने उन्हें दिल्ली के एक कथित रेल अधिकारी से मिलवाया, जिसने इन युवकों को “एम आरक्यू” सीलबंद आवेदन फॉर्म दिए। इन युवकों ने फॉर्म भरकर दिए तो उन्हें इलाहाबाद स्थित रेलवे भर्ती बोर्ड के कार्यालय से वेरिफिके शन कॉल आई और बोर्ड के आधिकारिक ईमेल आईडी से उनके आवेदन स्वीकार करने की सूचना प्राप्त हुई।

इसके बाद उन्हें मेडिकल परीक्षण एवं साक्षात्कार के लिए दिल्ली का बुलावा आया। उनका मेडिकल परीक्षण रेलवे के केन्द्रीय अस्पताल में कराया गया और साक्षात्कार को रेल भवन के सामने कृषि भवन में आईआरसीटीसी की एक कैंटीन के बगल में एक कमरे में हुआ और उन्हें बताया गया कि साक्षात्कार लेने वाला एक आईएएस अधिकारी है।

युवकों को मेडिकल रिपोर्ट भी दी गई, जो एकदम असली जैसी थी। इसके आठ दिन बाद युवकों के मूल पते पर नियुक्ति पत्र भी कोरियर से पहुंच गया। युवकों को सूचना दी गई कि उन्हें कोलकाता के दत्तुबागान में प्रशिक्षण के लिए भेज गया है। जुलाई 2013 से तीन माह की ट्रेनिंग दी गई। वहीं पर इन युवकों को रेलवे का आधिकारिक परिचय पत्र, बेसिक वेतन का भुगतान, वेतन पर्ची, सर्विस बुक आदि प्रदान किए गए। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें गांव से चरित्र प्रमाणपत्र लाने को कहा गया।

कोलकाता में उस कथित रेल अधिकारी का एक साथी भी था जो दत्तुबागान में उनके प्रशिक्षण से लेकर आगे का पूरा काम देख रहा था।

सावंत ने बताया कि युवकों ने अपनी-अपनी तहसीलों से चरित्र प्रमाणपत्र हासिल करके जमा कराए, जिसके बाद उन्हें बिहार के दानापुर में ऑन ड्यूटी ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। उस दौरान उन्हें नेम प्लेट, वर्दी, नया आई कार्ड, ड्यूटी पास आदि सभी आवश्यक दस्तावेज दिए गए। इन युवकों से स्टेशन ड्यूटी का लैटर लेकर नियुक्ति पत्र भी दे दिया गया।

उन्होंने बताया कि यह सब कुछ फरवरी 2014 तक ठीक ठाक चल रहा था लेकिन उसके बाद युवकों को गड़बड़ी का अंदेशा हुआ लेकि न इस घोटाले को अंजाम देने वाले लोग युवकों को पूरा आश्वासन देते रहे कि उनकी नियुक्ति सही है। जब यह मामला आगे बढ़ा तो दस मार्च से कथित रेल अधिकारी एवं उसका साथी दोनों लोगों के नंबर अचानक स्विच ऑफ हो गए और महाराष्ट्र के इन 43 युवक सड़क पर आ गए।

सावंत ने कहा कि इन युवको के साथ पुन: रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मिलकर इस मामले की जांच कराने और युवकों को न्याय दिलाने का आग्रह करेंगे।
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