शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा, “भाजपा नेता अभी भी दलितों के घर भोजन का आयोजन करते हैं और इसका प्रचार किया जाता है। इससे पता चलता है कि जाति उनके दिमाग में है और वे इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।”
शिवसेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत भजपा पर आरोप लगाते हुए लिखा, “राजनीतिक फायदे के लिए देश को जाति के आधार पर बांटा गया है। इसलिए, जाति आधारित हथकंडे अपनाना महज दिखावा है। आज भी चुनाव लड़ने के लिए टिकट का बंटवारा जाति के गणित के आधार पर किया जाता है।
पीएम मोदी की भी की आलोचना
शिवसेना नेता संजय राउत ने लिखा है की, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा नदी में डुबकी लगाई और फिर दलितों के पैर धोए। अब बीजेपी नेता उनके घर जा रहे हैं। जाति कब भूलोगे? हम सभी इंसान हैं और कोई जाति विभाजन नहीं होना चाहिए। लेकिन आप दलित परिवार में भोजन के लिए जाते हैं, ये सब ढोंग है। वोट बैंक की राजनीति बंद करो, नहीं तो देश एक बार फिर जाति के आधार पर बंट जाएगा।”
बता दें की फरवरी, 2019 में प्रयागराज में प्रधानमंत्री मोदी ने सफाई कर्मियों के पैर धोने धोए थे।
इसके बाद सामना में शिवसेना ने उत्तर प्रदेश के लिए सपा -कांग्रेस को बेहतरीन बताया है। सामना में लिखा गया है कि ‘उत्तर प्रदेश कांग्रेस, सपा और अन्य गैर-भाजपा दल फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में भाजपा की जगह ले सकते हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पूरी तरह से चुनाव पर ध्यान देना चाहिए और सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। अखिलेश यादव से प्रदेश की जनता को काफी उम्मीदें हैं।’
बता दें कि शिवसेना भी यूपी में हाथ आजमाने के प्रयासों में हैं। यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि “उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवसेना 50-100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।”
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