सोमवार को अपने संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है, ‘मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ रही है। यह चिंताजनक बात है। उनकी तरह हिंदुओं को भी बच्चों की संख्या बढ़ानी चाहिए यह विचार देशहित में है, लेकिन यह संघ के अनुशासन प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मान्य नहीं करने वाले।’
सामना में भागवत के बयान की आलोचना करते हुए आगे लिखा गया कि उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए। सरसंघचालक का यह विचार हिंदुत्व को लगे जाले के समान है। गौरतलब है कि मोहन भागवत ने रविवार को यूपी के आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि अन्य धर्मों के लोग यदि ज्यादा बच्चों को जन्म दे सकते हैं तो हिंदुओ को किसने रोका है।
‘समान नागरिक संहिता उपाय’ सामना में शिवसेना ने आगे लिखा है। ‘उपाय यह नहीं है कि हिंदुओं को भी अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए, बल्कि देश में समान नागरिक कानून लागू कर मुसलमानों सहित सभी धर्मावलंबियों पर परिवार नियोजन सख्ती से लागू करना ही एकमात्र उपाय है।’
जनसंख्या वृद्घि से अराजकता बढ़ेगी लेख में आगे कहा गया है, ‘हिंदू अगर अधिक बच्चों को जन्म देंगे, तो पहले से ही खस्ताहाली में जीने वाले लोग बरोजगारी, भूख, महंगाई की समस्या से और अधिक परेशान हो उठेंगे। ऊपर से जनसंख्या वृद्धि से अराजकता बढ़ेगी सो अलग।’
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दिग्विजय का भी संघ पर निशाना संपादकीय में सवालिया लहजे में लिखा गया है, ‘मुसलमानों में बच्चों के साथ बीवियां भी अधिक हैं। फिर हिंदू भी क्या एक से अधिक विवाह करें। ऐसा फतवा जारी कर सरकार को यह कानून बनाने पर बाध्य करने वाले हो क्या?’
इस बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस प्रमुख के बयान की ओलाचना करते हुए संघ को इस मुद्दे पर बहस की चुनौती दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘जनसंख्या का सीधा संबंध गरीबी से है, इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं।’
दिग्विजय सिंह ने अपने अगले ट्वीट में भी संघ प्रमुख पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘मोहन भागवत जी यह तो खैर मनाइए महिलाओं ने ओलम्पिक खेलों में भारत की लाज रख ली, यदि आपका बस चले तो उन्हें चूल्हा-चक्की से बाहर ही ना आने दो।