क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2021 को केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में किये गए संशोधन का हवाला दिया। इसमें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट धारा 3 में "पति" के बजाय "पार्टनर" शब्द का उपयोग किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ये संशोधन"अविवाहित महिला" को कवर करने के विधायी इरादे को दर्शाता है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर इस लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि क्योंकि वो एक अविवाहित महिला है।" बेंच ने कहा कि संसदीय का इरादा वैवाहिक संबंधों से उत्पन्न स्थितियों को सीमित करने का नहीं है।
कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2021 को केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में किये गए संशोधन का हवाला दिया। इसमें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट धारा 3 में "पति" के बजाय "पार्टनर" शब्द का उपयोग किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ये संशोधन"अविवाहित महिला" को कवर करने के विधायी इरादे को दर्शाता है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर इस लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि क्योंकि वो एक अविवाहित महिला है।" बेंच ने कहा कि संसदीय का इरादा वैवाहिक संबंधों से उत्पन्न स्थितियों को सीमित करने का नहीं है।
यह भी पढ़ें
पत्नी की कमाई पर नजर रखने वाले पति को कर्नाटक हाईकोर्ट की फटकार, सुनाया अहम फैसला
क्या कहता है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के 3 (2) (ए) ?बता दें कि भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) के अंतर्गत स्वेच्छा से गर्भपात करना क्रिमिनल अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के 3 (2) (ए) के तहत अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करने के अधिकार महिला को दिए गए हैं। इसके लिए भी कुछ नियम हैं। नियम ये कि गर्भपात की अनुमति तभी है जब गर्भावस्था 20 सप्ताह से अधिक लेकिन 24 सप्ताह से अधिक न हो। इसके साथ ही यदि महिला की जान को खतरा हो या उसके स्वास्थ्य पर किसी प्रकार का खतरा हो।
क्या है मामला?
25 साल की एक अविवाहित महिला ने गर्भपात कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही अविवाहित महिला को गर्भपात कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 20 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंसी को खत्म नहीं किया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ अविवाहित महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।