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Supreme Court: गांव में सेवा नहीं देना चाह रहे प्राइवेट कॉलेजों के अमीर MBBS स्टूडेंट्स, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला

Supreme Court to MBBS Students: कोर्ट ने एमबीबीएस विद्यार्थियों से अमीर होने व निजी कॉलेज में पढ़ाई को लेकर पूछे कई सवाल। जानिए क्या है मामला-

नई दिल्लीMay 23, 2024 / 08:21 am

Akash Sharma

SC on MBBS
Supreme Court to MBBS Students: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना को चुनौती देेने वाली रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है। इसमें मेडिकल विद्यार्थियों ने स्थायी पंजीकरण के लिए एक वर्ष की आवश्यक सार्वजनिक ग्रामीण सेवा से छूट की मांग की है। मामला जस्टिस पी.एम. नरसिम्हा और संजय करोल की पीठ के समक्ष रखा गया।


SC ने लगाई मेडिकल स्टूडेन्ट्स की फटकार

जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, यह कैसी छूट है? सिर्फ इसलिए आप ग्रामीण इलाकों में जाने से छूट चाहते हैं कि आप अमीर हैं और निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं। आपको ऐसे विचार कैसे आते हैंं? क्या आप सोचते हैं कि निजी मेडिकल कॉलेजों को ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए मजबूर करने की जरूरत नहीं है? जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, सिर्फ इसलिए किसी को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने से छूट नहीं देंगे कि वह निजी कॉलेज में पढ़ता है। क्या निजी संस्थाओं पर राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं है? क्या इसलिए छूट दे दी जाए कि आप निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बैंडविड्थ और भाषा का इश्यू था, तो जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, तो क्या हुआ, यह बहुत अच्छी बात है कि आप कहीं और जाकर काम करें। आप देश में आते-जाते हैं और विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं। ऐसा करना बहुत अच्छा काम है।

MBBS-MS सभी को जरूरी है एक साल की ग्रामीण सेवा

सरकारी वकील ने मेडिकल पाठ्यक्रम अधिनियम, 2012 का जिक्र किया। इसमें प्रत्येक MBBS स्नातक, स्नातकोत्तर या सुपर स्पेशियलिटी विद्यार्थियों को एक वर्ष की अनिवार्य ग्रामीण सेवा पूरा करना जरूरी है, जिन्होंने सरकारी विश्वविद्यालय या किसी निजी/डीम्ड यूनिवर्सिटी में सरकारी सीट पर पाठ्यक्रम पूरा किया है। इसके बाद ही अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किया जाएगा और याचिकाकर्ता कर्नाटक मेडिकल काउंसिल के साथ स्थायी पंजीकरण के लिए पात्र हो सकेगा।

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