याचिका में सोशल मीडिया पर शेयर की गई सूचनाओं सहित “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेंसर करने वाले सभी आदेशों” को रद्द करने की भी मांग की गई है। इसके साथ ही दलील में दावा किया गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में “रिकॉर्डेड सबूत हैं, जो पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए यूज किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को बैन करने के आदेश के बाद से लगातार विपक्षी पार्टियों के नेता प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। राहुल गांधी ने तो आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया है कि “आप CBI, ED और चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन सच तो सच होता है। सच्चाई चमकीली होती है। इसे सामने आने की बुरी आदत होती है। इसलिए किसी भी तरह की पाबंदी, दमन और डराने वाले लोग सच्चाई को सामने आने से नहीं रोक सकते हैं।” वहीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा भी लगातार डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध रही हैं। इसके अलावा अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता भी इसको लेकर सरकार पर हमला कर रहे हैं।