रेवड़ी कल्चर को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर पिछली बार 26 जुलाई को सुनवाई हुई थी। उस समय शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग पर तल्ख टिप्पणी की थी। सीजेआई एनवी रमण के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने कहा था कि अगर चुनाव आयोग मुफ्त में सामान बांटने वाले दलों का कुछ नहीं कर सकती तो फिर उसे भगवान ही बचाए। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले तर्कहीन मुफ्त उपहारों के वादे को गंभीर बताया था।
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वित्त आयोग को बुलाना चाहिए
सीजेआई एनवी रमना ने एक अलग मामले के लिए कोर्ट में बैठे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से भी राय मांगी। उन्होंने सिब्बल से पूछा कि सिब्बल एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के साथ साथ एक वरिष्ठ भी सांसद हैं। आप इसे किस तरह देखते हैं। इस पर सिब्बल ने कहा, यह बहुत गंभीर मामला है। चूंकि मामला राजनीतिक है इसलिए सरकार से किसी फैसले की उम्मीद नहीं है लेकिन इस पर वित्त आयोग को बुलाया जाना चाहिए।
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रेवड़ी कल्चर पर बैन लगाने की मांग
चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियां द्वारा हर चीज़ मुफ्त में बांटने का प्रचलन सा चल पड़ा है। इस साल जनवरी में इस मुद्दे को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। बीजेपी नेता और सीनियर वकील अश्विनी उपाध्याय ने रेवड़ी कल्चर पर बैन लगाने की मांग की है।