दक्षिणी चीन सागर में चीन की तानाशाही पर अमेरिका के बाद अब भारत ने भी कड़ा ऐतराज जताते हुए चेतावनी दी है। भारत ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि हम भी दक्षिण चीन सागर में अपना जहाज भेजने या उसके ऊपर उड़ान भरने को आजाद हैं। यह इलाका ‘फ्रीडम ऑफ नेविगेशन’ के दायरे में आता है। इस पर होने वाले विवाद का हल इंटरनेशनल कानून के दायरे में किया जाए। बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने भी दक्षिण चीन सागर में अपना जहाज भेजा था, जिस पर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया था।
पश्चिम फिलीपींस सागर के नाम से बुलाएगा भारत
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक भारतीय अफसरों ने बताया कि भारत दक्षिणी चीन सागर को पश्चिम फिलीपींस सागर के नाम से बुलाएगा। हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके फिलीपींस समकक्ष की मुलाकात के बाद यह फैसला लिया गया है। इस नाम का उपयोग दोनों विदेश मंत्रियों ने अपने ज्वाइंट स्टेटमेंट में भी किया था। इस दौरान दोनों देशों ने चीन के उस दावे को भी खारिज कर दिया है, जिसमें वह दक्षिणी चीन सागर के 90 फीसदी हिस्से पर अपना दावा करता है।
अमेरिका ने कहा- अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक जाएगी हमारी सेना
वहीं अमेरिका प्रशांत कमान के प्रमुख एडमिरल हैरी हैरिस ने चीन के ऐतराज पर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री और हवाई क्षेत्र का ताल्लुक सबसे है और इन पर किसी एक देश का वर्चस्व नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी अंतरराष्ट्रीय कानून इजाजत देता है वहां हमारी सेना उड़ान भरना, नौवहन करना और गतिविधि संचालित करना जारी रखेगी। दक्षिणी चीन सागर कोई अपवाद नहीं है और आगे भी अपवाद नहीं होगा।
चीन का पलटवार
एडमिरल हैरी हैरिस के बयान पर पलटवार करते हुए चीन की ओर से भी बयान जारी किया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अमेरिका पर हमला करते हुए कहा कि मेरे के लिए यह एक नाटक भर है, जिसका पटकथा लेखन, निर्देशन और अभिनय सब कुछ किसी की ओर से किया गया है। दक्षिणी चीन सागर में नौवहन की कथित स्वतंत्रता का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि हर साल लाखों पोत दक्षिणी चीन सागर से होकर सुरक्षित गुजरते हैं। मुझे वहां कोई समस्या नहीं दिखाई देती है।
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