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जन्म देने वाली मां से मिलने 41 साल बाद भारत आई बेटी, स्विडिश दंपती ने ले लिया था गोद

Published: Jun 14, 2017 05:07:00 pm

मां-बेटी को मिलाने वाली अंजलि ने बताया कि साल 1990 में नीलाक्षी अपनी जैविक मां का पता लगाने छह बार भारत के दौरे पर आई थी। जिसके बाद अब मां और बेटी का मिलन हुआ है।

son mother

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इन दिनों एक स्वीडिश महिला का भारत में आना खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल भारत ही जन्मी नीलाक्षी एलिजाबेथ जोरेंडल 41 साल बाद अपनी मां से मिली। जो उनके लिए एक भावुक पल था। जब वह 3 साल की थी तो एक स्वीडिश दंपती गोद ले लिया था और वो उनके साथ स्विडन चली गई थी। 
41 साल बाद नीलाक्षी एलिजाबेथ अपनी असली मां को खोजने के लिए भारत आई। उनके इस काम में अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिक नाम के एक एनजीओ ने पूरी मदद की। और एनजीओ में काम करने वाली अंजलि पवार के जरिए वह अपनी मां से मिली। अंजलि ने बताया कि शनिवार को मां और बेटी का मिलन महाराष्ट्र के यवतमाल में हुई। 
नीलाक्षी का जन्म पुणे के लगे केडगांव में पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन के आश्रय में हुआ था और मां ने गरीबी के कारण उन्हें स्विडिश दंपती को दे दिया था। नीलाक्षी के पिता एक किसान थे। और साल 1973 में आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद वह पैदा हुई तो उनकी मां ने उन्हें धोड़कर चली गई और दूसरी शादी कर ली। 
इसके बाद साल 1976 में पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन के आश्रय से ही स्विडिश दंपती ने नीलाक्षी को गोद लिया था। वहीं नीलाक्षी की मां को दूसरी शादी से एक बेटा और एक बेटी है। शनिवार को नीलाक्षी अपनी मां और परिजनों से यवतमाल अस्पताल में मिली। जहां मां और बेटी की आंखों में खुशी के आंसू रुक थम नहीं रहे थे। 
मां-बेटी को मिलाने वाली अंजलि ने बताया कि साल 1990 में नीलाक्षी अपनी जैविक मां का पता लगाने छह बार भारत के दौरे पर आई थी। जिसके बाद अब मां और बेटी का मिलन हुआ है। वहीं अस्पताल आकर नीलाक्षी को पता लगा कि उनकी मां थैलसीमीया से पीड़ित है। जिसके बाद उन्होंने मां की बीमारी का पूरा खर्च देने की बात कही। 
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