जस्टिस जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रक्रिया में भारत के प्रधान न्यायाधीश को शामिल करने से चुनाव आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। दरअसल मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग के साथ एक याचिका दायर की गई है, जिसके कारण इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई सवाल किए हैं।
जस्टिस रस्तोनी ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा कि क्या आप हमें बता सकते हैं कि नियुक्ति के लिए सरकार ने इतनी जल्दबाजी क्यों की। इसके साथ ही जस्टिस रस्तोनी ने कहा कि “सेम डे प्रोसेस, सेम डे क्लियरेंस, सेम डे अप्लिकेशन, सेम डे अपॉइंटमेंट। फाइल ने 24 घंटे का सफर भी पूरा नहीं किया। हम समझते हैं कि कभी-कभी स्पीड जरूरी होती है, लेकिन हम यह कह रहे हैं कि यह पद 15 मई से खाली था।
हाल ही में 19 नवंबर 2022 को अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है, जो कि रिटायर्ड ब्यूरो क्रेट हैं। अरुण गोयल पंजाब कैडर के पूर्व अधिकारी हैं, जिन्हें नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने के बाद एक दिन बाद चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। 18 नवंबर को VRS लेने तक गोयल केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव थे।